नई दिल्ली।New Delhi:पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, श्रद्धालुओं के लिए एक खुशखबरी सामने आई है – कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 में पुनः शुरू की जा रही है। यह बहुप्रतीक्षित निर्णय भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार और तनाव में कमी के बाद संभव हो पाया है। विदेश मंत्रालय जल्द ही इस यात्रा को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है, और ज़ोरों से तैयारियाँ की जा रही हैं।
हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र माने जाने वाले कैलाश मानसरोवर की यात्रा कोरोना महामारी और भारत-चीन सीमा तनाव के कारण 2020 से बंद थी। अब 2025 में यह यात्रा भारत और चीन के बीच 75वें कूटनीतिक संबंध वर्ष के अवसर पर पुनः शुरू की जा रही है, जो दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
BRICS से लेकर WMCC तक बनी सहमति
इस ऐतिहासिक निर्णय की नींव अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन में रखी गई थी, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में सैन्य डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी। इसके बाद मार्च 2025 में बीजिंग में आयोजित 33वीं WMCC (वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन) बैठक में यात्रा की बहाली और सीमा प्रबंधन पर सकारात्मक चर्चा हुई।
नए मार्गों पर विचार, लिपुलेख के साथ डेमचोक मार्ग संभव
अब तक कैलाश यात्रा के लिए मुख्य रूप से उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा मार्ग प्रयुक्त होता रहा है, लेकिन इस बार लद्दाख के डेमचोक मार्ग को भी एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में जोड़े जाने पर विचार किया जा रहा है। सुरक्षा और लॉजिस्टिक दृष्टिकोण से इसकी व्यवहार्यता का आकलन किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पुष्टि की, “यात्रा इस वर्ष अवश्य होगी और हम इसकी पूरी तैयारी कर रहे हैं। जल्द ही विस्तृत जानकारी जारी की जाएगी।”
रिश्तों में बहार, सहयोगी पहलें तेज
सिर्फ तीर्थयात्रा ही नहीं, दोनों देशों ने आपसी संबंध सुधारने के लिए अन्य कई कदम भी उठाए हैं। इनमें सीधी उड़ानों की बहाली, सीमा-पार नदियों पर डेटा साझा करना, और नाथुला सीमा व्यापार को बढ़ावा देना शामिल हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक बयान में कहा, “भारत-चीन संबंध पहले की तुलना में अब कहीं बेहतर स्थिति में हैं, विशेषकर डेमचोक और डेपसांग में सैन्य तनाव के समाधान के बाद।”
आध्यात्मिक भावनाओं को मिला सम्बल
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली सिर्फ एक भौगोलिक उपलब्धि नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की जीत है। भगवान शिव के धाम तक फिर से पहुँचने का मार्ग खुलना एक आध्यात्मिक उत्सव से कम नहीं है। भक्तों में इस यात्रा को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है।