श्रीनगर | Breaking News:जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बाइसारन मीडो में मंगलवार को हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इस वीभत्स हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) का हाथ सामने आया है, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट ऑर्गेनाइजेशन माना जाता है।
चार आतंकियों की पहचान, स्केच और तस्वीरें जारी
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने बुधवार सुबह चार आतंकियों की पहचान सार्वजनिक की:
– आसिफ फौजी
– सुलेमान शाह
– अबू तल्हा
– आदिल(स्थानीय सहयोगी जिसने रेकी की)
इनमें से दो हमलावर विदेशी बताए जा रहे हैं, जो *पश्तो* भाषा में संवाद कर रहे थे। उनके पास *हाई-टेक हथियार* M4 कार्बाइन और AK-47 थे, और उन्होंने हेलमेट पर कैमरे लगाकर हमले को रिकॉर्ड किया।
टारगेटेड किलिंग: धर्म के आधार पर हत्या
प्रारंभिक रिपोर्ट्स में सामने आया है कि आतंकियों ने पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया। एक चश्मदीद के अनुसार
> “हमलावरों ने मेरे पति से कुरान की आयत सुनाने को कहा। जब वह नहीं बोल पाए, तो उन्हें सिर में गोली मार दी।”
घटना में मृतकों में महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, नेपाल और यूएई के नागरिक शामिल हैं।
हमले की साजिश: लश्कर की प्लानिंग, PoK से हैंडलिंग
खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस हमले की साजिश लश्कर कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद ने रची थी, जो इस वक्त पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में छिपा है। हमलावरों को वहीं से हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराई गई।
जवाबी कार्रवाई और जांच शुरू
हमले के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने पहलगाम और आसपास के इलाकों में विस्तृत तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
– भारतीय सेना, CRPF और J&K पुलिस की संयुक्त टीमें सर्च ऑपरेशन में लगी हुई हैं।
– राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक विशेष टीम भेजी है।
– उरी सेक्टर में बुधवार को घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया।
राहत और मुआवजा
सरकार ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों को ₹10 लाख की सहायता राशि और घायलों को ₹1-2 लाख देने की घोषणा की है। साथ ही, दिल्ली, मुंबई सहित सभी बड़े शहरों में सुरक्षा अलर्ट बढ़ा दिया गया है।
TRF का इरादा: अमरनाथ यात्रा से पहले दहशत फैलाना
विशेषज्ञों का कहना है कि TRF जैसे आतंकी संगठन आगामी अमरनाथ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों को निशाना बनाने की फिराक में हैं। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।