कोल्हापुर। BIG NEWS : महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के छोटे से गांव यमगे से निकलकर बिरदेव सिद्धाप्पा डोणे ने साबित कर दिया कि अगर जज़्बा हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। चरवाहा परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिरदेव ने अपने पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की 2024 की परीक्षा में 551वीं रैंक हासिल की और IPS अधिकारी बनने का सपना साकार किया।
चरागाहों से सिविल सेवा तक का सफर
बिरदेव का बचपन बेहद साधारण परिस्थितियों में बीता। उनका परिवार भेड़-बकरियां पालने का काम करता था और अक्सर तंबुओं में रहकर पशुओं की देखभाल की जाती थी। सुविधाओं की भारी कमी के बावजूद बिरदेव ने तंबुओं में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की और कभी अपने हालात को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
शैक्षणिक यात्रा में उत्कृष्टता
बिरदेव ने प्राथमिक शिक्षा यमगे के विद्या मंदिर स्कूल से प्राप्त की और दसवीं में जय महाराष्ट्र हाईस्कूल से 96% अंक हासिल कर मुरगूड केंद्र में पहला स्थान प्राप्त किया। बारहवीं में भी 89% अंक प्राप्त कर वे शीर्ष पर रहे। इसके बाद उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (COEP) से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री ली।
दिल्ली में संघर्ष, फिर सफलता
UPSC की तैयारी के लिए वे दिल्ली पहुंचे, जहां आर्थिक तंगी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनके पिता हर महीने कर्ज लेकर पैसे भेजते थे। कोचिंग के साथ-साथ बिरदेव ने मजदूरी भी की और सेल्फ-स्टडी पर जोर दिया। कई बार हालात ने हार मानने को मजबूर किया, लेकिन बिरदेव ने कभी हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार 2024 में उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने पहली ही बार में UPSC परीक्षा पास कर ली।
चरागाह में जश्न और गांव में गर्व
जब रिजल्ट आया, उस वक्त बिरदेव कर्नाटक के बेलगावी में मेंढियां चरा रहे थे। जैसे ही रैंक की खबर गांव पहुंची, चरागाह में ही जश्न शुरू हो गया। यमगे गांव में मिरवणूक निकाली गई और चारों ओर बिरदेव की चर्चा होने लगी। उनके पिता सिद्धाप्पा डोणे ने भावुक होते हुए कहा, “मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता इस परीक्षा के बारे में, लेकिन अपने बेटे पर हमेशा भरोसा था।”
समाज के लिए प्रेरणा
बिरदेव ने कहा, “मेरी मेहनत और परिवार का साथ ही मेरी सफलता का आधार है। अब मैं समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहता हूं।” उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे धनगर समुदाय और उन लाखों युवाओं की है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। बिरदेव की सफलता यह दिखाती है कि मुश्किल रास्ते भी मंज़िल तक पहुंचा सकते हैं, बशर्ते हौसला और मेहनत कायम हो।