नई दिल्ली। BIG NEWS : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी पर उनकी माफी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इसे “मगरमच्छ के आंसू” करार देते हुए मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) गठन का आदेश दिया है। यह टिप्पणी शाह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कर्नल कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहकर की थी, जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि:
कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी, ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की जानकारी मीडिया को दी थी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। 12 मई 2025 को इंदौर के रायकुंडा गांव में एक कार्यक्रम के दौरान, विजय शाह ने कहा, “जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे… हमने उनकी बहन भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई।” इस बयान को कर्नल कुरैशी पर अप्रत्यक्ष हमला माना गया, जिसे सांप्रदायिक, लैंगिक और अपमानजनक करार दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने शाह की माफी को “नाटकीय” और “कानूनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश” बताया। जस्टिस कांत ने कहा, “आप एक जिम्मेदार राजनेता हैं। आपको अपने शब्दों का वजन समझना चाहिए। कोर्ट ने मध्य प्रदेश के DGP को निर्देश दिया कि 20 मई 2025 की सुबह 10 बजे तक तीन IPS अधिकारियों की SIT गठित की जाए, जिसमें एक महिला अधिकारी हो और नेतृत्व IGP रैंक का अधिकारी करे। दोनों अन्य सदस्य SP या उससे उच्च रैंक के होंगे। SIT को 28 मई तक पहली स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। कोर्ट ने शाह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, बशर्ते वे जांच में पूरा सहयोग करें।
हाईकोर्ट का रुख और FIR:
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14 मई 2025 को मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए शाह के बयान को “गटर की भाषा” और “सशस्त्र बलों का अपमान” करार दिया था। कोर्ट ने DGP को चार घंटे के भीतर FIR दर्ज करने का आदेश दिया, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (राष्ट्र की संप्रभुता को खतरा), 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), और 197 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) शामिल हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि शाह का बयान न केवल कुरैशी, बल्कि पूरे सशस्त्र बलों के लिए अपमानजनक है और यह धार्मिक आधार पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ सकता है।
विजय शाह की प्रतिक्रिया:
विवाद के बाद शाह ने 14 मई को X पर एक वीडियो अपलोड कर माफी मांगी, जिसमें उन्होंने कुरैशी को “राष्ट्र की बहन” कहा। उन्होंने दावा किया कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया और वे पहलगाम हमले से भावुक थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को अस्वीकार कर दिया। शाह ने कहा, “मैं 10 बार माफी मांगने को तैयार हूं। कर्नल कुरैशी मेरी बहन से भी ज्यादा सम्मानित हैं।” फिर भी, कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे, मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी, और बसपा नेता मायावती ने शाह के तत्काल बर्खास्तगी की मांग की। खर्गे ने इसे “अपमानजनक और अश्लील” बताया। बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी शाह की टिप्पणी को “शर्मनाक” करार देते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग की। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने कहा कि पार्टी ने शाह को चेतावनी दी है और कुरैशी को “राष्ट्र की बेटी” बताया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने बयान को “महिलाओं की गरिमा के खिलाफ” बताया।
प्रभाव और अगले कदम:
इस घटना ने भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान और सामाजिक सौहार्द के मुद्दों को उजागर किया है। कर्नल कुरैशी, जो 2016 में बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं, को व्यापक सम्मान प्राप्त है। SIT की जांच से शाह के बयान के इरादे और इसके सामाजिक प्रभाव का पता लगेगा। सुप्रीम कोर्ट