Vat Savitri Vrat 2025: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष स्थान है। इस वर्ष 26 मई 2025 को यह व्रत एक दुर्लभ संयोग के साथ आ रहा है। धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण के अनुसार, इस दिन सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और श्रीसंत ज्ञानेश्वर जयंती एक साथ पड़ने से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है।
क्यों रखा जाता है ये व्रत?
विवाहित महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और देवी सावित्री के साहस, समर्पण और पति-प्रेम की प्रेरणादायक कथा को स्मरण करती हैं।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वट वृक्ष को अमूल्य और जीवनदायी माना गया है। इसकी छाया, जड़, पत्ता, दूध और हवा तक औषधीय गुणों से भरपूर होती है और यह जीवनदायिनी मानी जाती है।
शुभ मुहूर्त
धर्म विशेषज्ञ के अनुसार, पूजा के लिए अमृत सर्वोत्तम योग सुबह *5:51 से 7:34 बजे* तक रहेगा।
इसके बाद उत्तम शुभ योग 9:17 से 11 बजे तक और
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:15 से 1:05 बजे तक रहेगा।
पूजन विधि
सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
सबसे पहले पति का चेहरा देखें या उनकी तस्वीर को निहारें।
श्रृंगार कर पूजा की थाली में चने, मिठाई, गुड़, फूल आदि रखें।
वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें।
वृक्ष में जल अर्पित करें और कच्चा सूत 7 या 21 बार लपेटते हुए कथा सुनें।
इस विशेष संयोग में व्रत करने से त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।