आजादी के 70 साल होने के बावजूद आज लोग भारत देश को तरक्की की ओर बढ़ता देश बुलाते हैं. लेकिन आज भी कुछ तस्वीरें ऐसी है जो हमें और आपको सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि क्या वाकई देश बदल रहा है। ताजा मामला पखांजूर कोयलीबेड़ा के कंदाड़ी गांव का है जहां एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए खटिया में लादकर नदी पार करवाना पड़ा।
गांव में नहीं पहुंची बुनियादी सुविधाएं
पखांजूर के कोयलीबेड़ा में प्रसव पीड़ा में तड़पती एक गर्भवती महिला को अपनी जान में खेलकर अस्पताल के दरवाजे तक पहुंचना पड़ा। कंदाड़ी गांव नदी के पार है । गांव के लोग कई बार नदी में छोटे पुल की मांग कर चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। गांव की एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। अस्पताल गांव से 45 किमी दूर है । लिहाजा 102 महतारी एक्सप्रेस को कॉल लगाया गया। लेकिन समस्या ये थी कि एंबुलेंस नदी कैसे पार करे। लिहाजा ग्रामीणों ने महिला को खटिया में लादकर ठंड में नदी पार करवाया। इसके बाद भी महिला की जान हलक में अटकी रही क्योंकि नदी पार 2 घंटे इंतजार करने के बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंची।
सरकारें आई और गईं,लेकिन नहीं बदली सूरत
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे कई गांव है जहां आज तक न सड़क पहुंची है और न ही अस्पताल । सरकारी योजनाएं तो हैं लेकिन जिनकों उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है वहीं तक वो नहीं पहुंचती । इसके पहले भी कई बार कंदाड़ी ग्राम पंचायत में जान पर खेलकर महिलाओं को अस्पताल इलाज के लिए पहुंचाया गया है। ना जाने कब इस इलाके के जनप्रतिनिधियों को ये ख्याल आएगा कि गांव में भी जीवन है वहां भी लोग है। सिर्फ सड़क,पुल और अस्पताल के कारण किसी की जान चली जाए। ये कहां तक सही है।