CG Raut Nacha : छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़ा राउत नाचा न सिर्फ एक नृत्य परंपरा है, बल्कि लोकसंस्कृति की जीवंत झलक भी है। दीपावली के बाद जब गांव की गलियों में राउतों की टोलियां निकलती हैं, तो उनके कदमों के साथ-साथ गूंजते हैं ऐसे दोहे, जो भक्ति, नीति, हास्य और पौराणिक कथाओं से ओतप्रोत होते हैं।
राउत नाचा के बीच-बीच में गाए जाने वाले ये दोहे केवल नाचने वालों का उत्साह नहीं बढ़ाते, बल्कि दर्शकों को भी मंत्रमुग्ध कर देते हैं। भगवान कृष्ण के बाल-लीला से लेकर यादवों के गौरवशाली इतिहास और समाज में सुधार के संदेश तक हर दोहा कुछ कहता है, कुछ सिखाता है, और कई बार ठहाके भी लगवाता है।
रंग-बिरंगे कपड़ों, कौड़ी जड़ी जैकेट और सजी हुई लाठी के साथ जब राउत नाचते हैं, तो टिमकी, दफड़ा और ढोलक की थाप पर थिरकते हुए उनके दोहे गांव-गांव में उत्सव का रंग भर देते हैं।