हनुमान जी के साथ भगवान शिव और माता दुर्गा का रहेगा त्रिवेणी संगम,,,
0 धरसींवा में सिद्ध हनुमान मंदिर निर्माण के लिए बढ़ रहे है हाथ,,,,
0 नितिन अग्रवाल का ₹1 लाख का सहयोग: मंदिर निर्माण को मिली गति,,
0 पुलिसकर्मियों की हनुमान जी में अटूट आस्था: फर्ज से पहले टेकते हैं,,,,माथा
0 गौरीशंकर अग्रवाल ने मंदिर को बताया ‘ऐतिहासिक’, श्याम नारंग ने कहा ‘सांस्कृतिक विरासत’
धरसींवा। न्यूज रिपोर्टर मोहम्मद उस्मान सैफी,CG NEWS: ब्लाक मुख्यालय धरसींवा में आस्था और भक्ति का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। थाना धरसींवा के समीप बन रहे सिद्ध हनुमान मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से जारी है, जहाँ हजारों भक्तगण अपना अमूल्य सहयोग देकर इस पुनीत कार्य को नई ऊँचाईयाँ दे रहे हैं। यह मंदिर मात्र ईंट-पत्थरों से नहीं, बल्कि अटूट आस्था और गहरे विश्वास की नींव पर खड़ा हो रहा है। इस भव्य मंदिर में हनुमान जी के साथ भगवान शिव और माता दुर्गा की भी भव्य स्थापना होगी, जिससे यह स्थान त्रिवेणी संगम का रूप लेगा।
इसी कड़ी में, शनिवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और उनके धर्म रक्षक पुत्र नितिन अग्रवाल ने मंदिर निर्माण समिति को ₹1 लाख का नकद सहयोग प्रदान कर इस पवित्र कार्य में अपना हाथ बढ़ाया। इस अवसर पर, नितिन अग्रवाल ने भावुक होते हुए कहा, “मंदिर निर्माण में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। यह दरबार स्वयं भगवान हनुमान जी की कृपा से ही पूर्ण होगा।” उनके इन शब्दों ने उपस्थित भक्तों में असीम उत्साह और अटूट विश्वास का संचार किया। इस पवित्र कार्य में भाजपा जिला ग्रामीण अध्यक्ष श्याम नारंग और जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
थाना धरसींवा की हनुमान जी में अटूट आस्था: पहले माथा टेकते हैं, फिर निभाते हैं फर्ज
थाना धरसींवा के पास स्थित भगवान हनुमान के प्रति पुलिसकर्मियों की भी असीम और गहरी आस्था है। यहाँ के पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर आने से पहले सबसे पहले हनुमान जी के चरणों में माथा टेकते हैं, फिर अपने फर्ज की ओर बढ़ते हैं। यह एक मार्मिक दृश्य है जो दर्शाता है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने की कठिन चुनौतियों के बीच भी वे दैवीय शक्ति पर कितना विश्वास करते हैं।
पुलिस की नौकरी में हर दिन अनिश्चितताएँ और खतरे होते हैं। अपराधियों का सामना करना, कानून-व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ा और जोखिम भरा कार्य है। ऐसे में, हर सुबह हनुमान जी के दर्शन करना और उनका आशीर्वाद लेना उन्हें मानसिक शक्ति, साहस और शांति प्रदान करता है। यह उनके लिए सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों को निष्ठा और निडरता से निभाने का एक प्रेरणा स्रोत है। वर्दी में सजे ये कर्मी जब हनुमान जी के सामने नतमस्तक होते हैं, तो यह दिखाता है कि वे अपने मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को कितना महत्व देते हैं, भले ही उनका पेशा कितना भी कठिन क्यों न हो।
धरसींवा स्थित हनुमान मंदिर की महिमा जीवंत है: गौरीशंकर अग्रवाल
उपस्थित मीडिया से बात करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरी शंकर अग्रवाल ने धरसींवा स्थित इस हनुमान मंदिर को ऐतिहासिक बताते हुए अपनी गहरी आस्था प्रकट की। उन्होंने कहा, “मैं जब भी इस मार्ग से गुजरता हूँ, मंदिर में अपना शीश झुकाए बिना नहीं जा पाता, क्योंकि इस मंदिर में स्वयं भगवान जी साक्षात विराजमान हैं।” उनकी यह बात वर्षों पुरानी उस आस्था को दर्शाती है जो इस पवित्र स्थान से जुड़ी हुई है। आपको बता दें कि इस भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन एक माह पूर्व ही संपन्न हुआ था, जिसमें प्रदेश के गृह मंत्री श्री विजय शर्मा और धरसींवा विधायक श्री अनुज शर्मा ने उपस्थित होकर मंदिर के दिव्य भविष्य की आधारशिला रखी थी।
धरसींवा का हनुमान मंदिर सांस्कृतिक विरासत: श्याम नारंग
धरसींवा के सिद्ध हनुमान मंदिर के निर्माण में समाज के विभिन्न वर्गों से सहयोग और आस्था देखने को मिल रही है। भाजपा जिला ग्रामीण अध्यक्ष श्री श्याम नारंग ने भी इस पुनीत कार्य में अपनी गहरी आस्था व्यक्त की है। श्री नारंग ने कहा, “यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और आस्था का प्रतीक है। भगवान हनुमान की कृपा से यह भव्य मंदिर निश्चित रूप से पूरा होगा और क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बनेगा। हम सभी को इस नेक कार्य में अपना योगदान देना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे धार्मिक कार्यों से समाज में सकारात्मकता और एकता का संचार होता है।
कोल्हान नाला से अवतरित हुए सिद्ध हनुमानजी की अनुपम महिमा
यह मंदिर जिस सिद्ध हनुमानजी को समर्पित है, उनकी महिमा और उद्भव की कहानी अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। धरसींवा में पूजे जा रहे इन सिद्ध हनुमानजी का प्राकट्य धरसींवा से लगभग चार-पांच किलोमीटर दूर स्थित कोल्हान नाला से हुआ था। यह घटना उस समय की है जब भारत ब्रिटिश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। एक बार, धरसींवा थाना के सूबेदार एक जांच के सिलसिले में कोल्हान नाले के समीप गए हुए थे। जांच पूर्ण होने के उपरांत जब सूबेदार वापस लौट रहे थे, तो उनका घोड़ा अचानक ही अजीब व्यवहार करने लगा। वह आगे बढ़ने को तैयार नहीं था, बल्कि उसी स्थान पर लगातार चक्कर काट रहा था। सूबेदार ने जब गहनता से अवलोकन किया, तो झाड़ियों के मध्य उन्हें सिद्ध हनुमानजी की एक प्राचीन और तेजोमयी प्रतिमा दिखाई दी। इस अलौकिक संकेत को ईश्वरीय कृपा मानकर, सूबेदार ने अत्यंत श्रद्धाभाव से उस हनुमानजी की प्रतिमा को अपने घोड़े पर विराजित किया और उन्हें धरसींवा थाना के सामने एक विशाल वृक्ष के नीचे पूर्ण विधि-विधान से प्रतिष्ठित किया। यह एक साधारण सी शुरुआत थी, जिसने कालांतर में एक महान आस्था के केंद्र की नींव रखी। समय के प्रवाह के साथ, स्थानीय भक्तों ने मिलकर उस स्थान पर एक छोटी सी मढ़िया (छोटा मंदिर) का निर्माण कराया। धीरे-धीरे, भक्तों की मनोकामनाएं इस पवित्र स्थान पर आकर पूर्ण होने लगीं। भक्तों की अटूट श्रद्धा और सिद्ध हनुमानजी के चमत्कारों ने इस स्थान की प्रसिद्धि को दूर-दूर तक फैला दिया। जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ती गई और उनकी प्रार्थनाएं पूर्ण होती गईं, इस स्थान के प्रति लोगों की आस्था और भी गहरी होती चली गई।
नितिन अग्रवाल का समाज सेवा में रहा है सराहनीय योगदान,,,,
धर्म रक्षक व समाज सेवक श्री नितिन अग्रवाल के सहयोग से हनुमंत निर्माण समिति को बड़ी उम्मीदें जगी हैं। श्री नितिन अग्रवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल के पुत्र हैं, और उनका समाज सेवा का ट्रैक रिकॉर्ड काफी प्रभावशाली रहा है। पिछले वर्ष ही श्री नितिन अग्रवाल ने क्षेत्र के “श्रावण कुमार” बनकर एक मिसाल पेश की थी। उन्होंने अंचल के लगभग 600 लोगों को 15 बसों में अयोध्या, काशी, बनारस और प्रयागराज जैसे पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन कराए थे। उनके इस कदम ने समाज सेवा के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को उजागर किया था। अब मंदिर निर्माण में उनका सहयोग निश्चित रूप से इस पुनीत कार्य को और गति प्रदान करेगा। यह भव्य सिद्ध हनुमान मंदिर धरसींवा और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बनने जा रहा है, जहाँ भगवान शिव और माता दुर्गा की भी भव्य स्थापना होगी। यह केवल एक धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक एकता का प्रतीक बनेगा।