फिंगेश्वर। Siberia Openbill : फिंगेश्वर क्षेत्र का लचकेरा गांव एक बार फिर दुर्लभ विदेशी पक्षियों की मधुर कलरव से गूंज उठा है। साइबेरिया से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर एशियन ओपनबिल स्टॉर्क पक्षियों का दल गांव की हरियाली और तालाबों की गोद में आ बसा है। ये पक्षी मानसून का संदेश लेकर आते हैं और गांव की धरोहर माने जाते हैं।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इन पक्षियों के आगमन को शुभ संकेत माना जाता है। इनके आते ही गांव के खेत-खलिहान में किसानी कार्यों की रौनक लौट आती है। हर साल ये पक्षी यहाँ विशेष रूप से प्रजनन के लिए पहुंचते हैं और दिवाली तक रुकते हैं। दिवाली के समय इनके अंडों से बच्चे निकलते हैं, जिनके बड़े होते ही पूरा परिवार फिर साइबेरिया लौट जाता है।
हर पेड़ बना इनका बसेरा, पक्षियों को संरक्षण देने आगे आए ग्रामीण
लचकेरा गांव के पेड़ों की हर शाख पर इन पक्षियों ने अपना घोंसला बनाया है। ग्रामीण इन्हें अपना परिवार मानते हैं। पक्षियों को कोई नुकसान न पहुँचा सके, इसके लिए गाँव में विशेष नियम बनाए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति इन पक्षियों को हानि पहुँचाता है तो 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और इसकी सूचना देने वाले को 1 हजार रुपये का इनाम मिलता है।
पक्षियों के लिए बनाया गया अनोखा उदाहरण
पक्षियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला यह गांव आज मिसाल बन चुका है। रेडिएशन से इन पक्षियों को बचाने के लिए गांव में आज तक कोई मोबाइल टॉवर नहीं लगने दिया गया है। यह सामूहिक प्रयास पक्षियों को सुरक्षित माहौल देने में सफल रहा है।
दुर्लभ प्रवासी पक्षी, जिनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
एशियन ओपनबिल स्टॉर्क न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश, चीन, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में भी पाए जाते हैं। इनका लचकेरा गांव आना हर साल पक्षी प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए सुखद और प्रेरक समाचार बन जाता है।
गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इन पक्षियों का संरक्षण करना उनकी परंपरा और जिम्मेदारी दोनों है। गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इनका स्वागत अपने परिवार की तरह करते हैं।