भिलाई। Bhilai Firing Anniversary : 1 जुलाई को भिलाईवासियों के लिए वह दिन याद आता है, जिसने पूरे शहर और देश को झकझोर दिया था। यह दिन 1992 के मजदूर आंदोलन की 34वीं बरसी है, जब पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन पर पुलिस की गोलीबारी में 17 श्रमिकों और 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। यह घटना छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और लोकप्रिय मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी की हत्या के बाद उपजे आक्रोश का परिणाम थी।आज गोलीकांड की 34 वीं बरसी पर मृत श्रमिकों के परिजन एक बार फिर उन्हें श्रद्धांजलि देने पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन में जुुटे। आंसुओं का सैलाब के बीच मर चुके अपनों को याद किया। न्याय की गुहार लगाई।
आपको बता दे की 28 सितंबर 1991 को नियोगी की हत्या ने मजदूरों को आंदोलित कर दिया था। नौ महीने तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल और ज्ञापन के बाद भी जब सरकार ने मांगों की अनदेखी की, तो मजदूरों ने 1 जुलाई को रेल रोको आंदोलन का फैसला किया। बड़ी संख्या में श्रमिक पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन की ओर बढ़े। शाम ढल रही थी, लेकिन कोई अधिकारी उनसे संवाद के लिए नहीं पहुंचा। इसी दौरान प्रशासन ने भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।इस गोलीकांड में 17 मजदूरों की जान गई और सैकड़ों घायल व अपंग हो गए। आज इस घटना की याद में परिजन और मजदूर संगठन एकत्र होकर श्रद्धांजलि देते हैं और न्याय की मांग दोहराते हैं। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के नेता भीमराव बागड़े ने आरोप लगाया कि गोलीकांड पूरी तरह अवैध था, लेकिन अब तक किसी पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी नहीं मिली। सरकार ने स्वयं माना था कि गोली चलाना गलत था। अब वे इस मामले में उच्चस्तरीय सुनवाई और मुआवजा व नौकरी की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों का विरोध करते हुए 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है।