रायपुर। CG BIG NEWS : आम जनता को राहत देने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में सरकार ‘छत्तीसगढ़ जन विश्वास विधेयक’ पेश करेगी, जिसमें कई पुराने कानूनों को सरल बनाकर जेल की सजा को हटाकर वित्तीय दंड में तब्दील किया जाएगा। मंत्रिमंडल से इस विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है।
अब अवैध निर्माण पर नहीं होगी जेल, लगेगा 50 हजार जुर्माना
नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 69(2) के अनुसार, अवैध निर्माण पर वर्तमान में 3 माह की सजा या ₹50,000 जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। नए विधेयक में इसे केवल ₹50,000 जुर्माने तक सीमित कर दिया गया है। इसी तरह धारा 69(4) में 3 माह की सजा या ₹5000 का जुर्माना था, जिसे बढ़ाकर ₹25,000 करने की तैयारी है।
सार्वजनिक जगहों पर शराब पीने पर अब लगेगा ₹5000 जुर्माना
छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा ‘क’ के तहत अभी सार्वजनिक जगहों – जैसे स्कूल, अस्पताल, मंदिर, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और आम रास्तों पर शराब पीने पर ₹2000 जुर्माने का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर ₹5000 किया जा रहा है।
इसके अलावा, अवैध शराब की बिक्री, परिवहन, भंडारण या निर्माण पर ₹10,000 से ₹25,000 तक जुर्माना और 3 माह की कैद का प्रावधान होगा। पहले अपराध पर ₹10,000 और दोबारा अपराध पर ₹20,000 जुर्माना लगेगा।
औद्योगिक संबंध अधिनियम में भी संशोधन
औद्योगिक विवादों, सुलह प्रक्रिया, और न्यायाधिकरण के मामलों से जुड़ी औद्योगिक संबंध अधिनियम की धारा 86 से 93 में भी संशोधन प्रस्तावित है। इसमें अधिकतम जुर्माने की 50% राशि जमा करने का प्रावधान शामिल होगा। साथ ही, पिछली बार के अपराध के दोहराव पर ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नियमों के उल्लंघन पर कुल दंड के अतिरिक्त 20% अतिरिक्त जुर्माना देना होगा।
निजी शौचालय मामलों में भी नरमी
नगर-ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 77(2) के तहत, ग्राम पंचायत द्वारा संचालित शौचालयों में फंड नहीं देने पर 3 माह की सजा या ₹5 का मामूली जुर्माना था, जिसे बदलकर अब ₹25,000 के जुर्माने में तब्दील किया जा रहा है।
लाइसेंसधारी भी जुर्माने के दायरे में
यदि कोई लाइसेंसधारी या उसका कर्मचारी नियमों का उल्लंघन करता है और प्रमाणित दस्तावेज पेश नहीं करता है, तो उस पर ₹25,000 जुर्माना लगाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ जन विश्वास विधेयक का उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना, बेवजह की कानूनी बाधाओं को हटाना और लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ाना है। इससे न केवल लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली भी अधिक व्यावहारिक हो सकेगी।