ललित अग्रवाल, संयोजक, ABCD अग्रवाल बिजनेस एंड कम्युनिटी डेवलपमेंट, अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन, छत्तीसगढ़ प्रांतीय
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर देश के सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे औद्योगिक और व्यापारिक केंद्रों में से एक है। यहाँ से खनिज, इस्पात, सीमेंट, एल्युमिनियम, कृषि और बागवानी उत्पादों का बड़ा निर्यात होता है। इसके बावजूद, रायपुर को आज तक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और बड़े कार्गो हब का दर्जा नहीं मिला है, जिससे राज्य की आर्थिक और व्यापारिक संभावनाएँ सीमित रह गई हैं।
रायपुर की क्षमता और आवश्यकता:
– रायपुर न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि मध्य भारत के सात राज्यों के लिए व्यापार, लॉजिस्टिक्स और निर्यात का प्रमुख केंद्र है।
– यहाँ की अर्थव्यवस्था 7.5% से अधिक की दर से बढ़ रही है, और निर्यातकों, व्यापारियों, किसानों व उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक सीधी पहुँच की सख्त आवश्यकता है।
– वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए लोगों को भुवनेश्वर, हैदराबाद या मुंबई जैसे दूर के एयरपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे समय, धन और संसाधनों की बर्बादी होती है।
भुवनेश्वर और दक्षिण भारत के छोटे शहरों से तुलना:
– भुवनेश्वर (ओडिशा) जैसे शहर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जहाँ से सिंगापुर, दुबई, बैंकॉक आदि के लिए सीधी उड़ानें हैं। वहाँ का यात्री और कार्गो ट्रैफिक रायपुर से अधिक नहीं है, फिर भी वहां अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी उपलब्ध है।
– मदुरै, तिरुचिरापल्ली (त्रिची), कन्नूर जैसे दक्षिण भारत के छोटे शहरों में भी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं, जहाँ से मुख्यतः एनआरआई और पर्यटन आधारित उड़ानें संचालित होती हैं। इन शहरों की तुलना में रायपुर का औद्योगिक, व्यापारिक और निर्यात आधार कहीं अधिक मजबूत है।
*रनवे की तुलना: रायपुर, भोपाल और लखनऊ
– रायपुर एयरपोर्ट की रनवे लंबाई लगभग 2,743 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर है, जो एयरबस A320, बोइंग 737 जैसे मिड-साइज विमान और कुछ बड़े विमान के संचालन के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।
– भोपाल एयरपोर्ट की रनवे लंबाई *2,744 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर है, और यह बोइंग 747-400, बोइंग 777 जैसे बड़े विमान के संचालन के लिए सक्षम है।
– लखनऊ एयरपोर्ट की रनवे लंबाई 2,743 मीटर* और चौड़ाई 45 मीटर है, जो बोइंग 777, एयरबस A330 जैसे बड़े विमानों के लिए उपयुक्त है।
कार्गो हब की ज़रूरत:
– छत्तीसगढ़ के किसानों, उद्योगों और व्यापारियों के लिए कार्गो हब की अनुपलब्धता के कारण उनके उत्पादों का समय पर निर्यात नहीं हो पाता, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
– रायपुर में कार्गो हब बनने से कृषि, बागवानी, मत्स्य, औद्योगिक और अन्य उत्पादों का निर्यात तेज़ी से बढ़ेगा और राज्य को वैश्विक बाजारों से जोड़ने में मदद मिलेगी।
रोजगार, निवेश और शिक्षा के अवसर:
– अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनने से राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, विदेशी निवेश आकर्षित होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
– छात्रों, प्रोफेशनल्स और व्यापारियों को विदेश यात्रा, शिक्षा और व्यापार के लिए सीधी उड़ानों का लाभ मिलेगा।
सरकारी पहल और मांग:
– केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रायपुर से सिंगापुर और दुबई के लिए सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों एवं कार्गो हब की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति दी है।
– राज्य सरकार, सांसदों, व्यापारिक संगठनों और आम जनता की ओर से भी यह मांग लगातार उठाई जा रही है।
निष्कर्ष:
रायपुर की आर्थिक, औद्योगिक और भौगोलिक स्थिति, साथ ही रनवे की तकनीकी क्षमता को देखते हुए, यहां अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और कार्गो हब की स्थापना अत्यंत आवश्यक है। इससे छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे मध्य भारत को वैश्विक बाजार से जोड़ने, व्यापार, निर्यात, पर्यटन और रोजगार को नई गति देने का अवसर मिलेगा। केंद्र सरकार से निवेदन है कि रायपुर को शीघ्र अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और कार्गो हब का दर्जा प्रदान किया जाए।