महासमुंद | GRAND NEWS : महासमुंद में आज 9 जुलाई को देशभर की 10 राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल को समर्थन देते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं भी सड़कों पर उतर आईं।
संयुक्त मंच के बैनर तले जुटी इन कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
50 वर्षों से कर रहीं सेवा, फिर भी न कर्मचारी का दर्जा
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे पिछले 50 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार के अधीन स्वयंसेवक के रूप में सेवाएं दे रही हैं, लेकिन अब तक न उन्हें कर्मचारी का दर्जा मिला है, न मजदूर का।
उन्होंने बताया कि उन्हें न तो वेतन अधिनियम का लाभ मिलता है, और न ही न्यूनतम वेतन लागू किया गया है।
बेहद कम मानदेय, न कोई सुविधा
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से आज भी
🔹 कार्यकर्ता को 4500 रुपये प्रति माह,
🔹 और सहायिका को 2250 रुपये प्रति माह
दिया जाता है, जो न्यूनतम जीवन यापन के लायक भी नहीं है।
इसके अलावा इन्हें
❌ महंगाई भत्ता,
❌ पेंशन,
❌ ग्रेच्युटी,
❌ समूह बीमा,
❌ चिकित्सा सुविधा
❌ या पदोन्नति
जैसी कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं दी जाती है।
क्या बोलीं प्रदेश अध्यक्ष सुधा रात्रे?
सुधा रात्रे, प्रदेश अध्यक्ष – सक्षम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ, महासमुंद (छत्तीसगढ़) ने कहा:
“हम सिर्फ सम्मान नहीं, न्यायपूर्ण अधिकार चाहते हैं। सरकारें हमें सालों से अनदेखा कर रही हैं। जब तक हमें मजदूर या कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलेगा, यह आंदोलन जारी रहेगा।”