डेस्क। Electric Vehicles : दुनिया में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों का कॉन्सेप्ट लाया गया है, सभी कार कंपनियां ईवी की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रही हैं. भारत सहित पूरे विश्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लांच किया जा रहा है. दरअसल यह माना जाता है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियों की तुलना में कम पॉल्यूशन करती है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है. लेकिन कुछ ऐसे रिसर्च सामने आए हैं जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां डीजल पेट्रोल वाली गाड़ियों से ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं दरअसल एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि नॉर्मल इंजन की एमिशन की तुलना में ईवी कार में टोटल कार्बन एमिशन लगभग 46 गुणा अधिक होता है. हालांकि पेट्रोल डीजल की गाड़ियां में यह सिर्फ 26 फीसदी ही निकलता है. हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि एक इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की प्रक्रिया में लगभग 5 से 10 टन (CO2) कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है
नॉर्मल वाहनों और ईवी में चेचिस और दूसरे पार्ट लगभग एक समान ही होते हैं. इन कॉम्पोनेंट्स को बनाने के लिए एल्यूमीनियम और स्टील जैसे स्ट्रांग मेटल का उपयोग किया जाता है. इन गाड़ियों में सिर्फ फ्यूल का ही अंतर होता है. नॉर्मल गाड़ियां डीजल या पेट्रोल से चलती है तो वहीं ईवी गाड़ियां बैटरी से चलती है. बता दें कि ये ईवी कारों में लिथियम आयन की बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक रेयर अर्थ मेटल से बनाया जाता है.
आपको बता दे की ईवी की एक बैटरी बनाने में लगभग 8 किलो लिथियम 8 से 10 किलो कोबाल्ट और लगभग 35 किलो मैंगनीज का उपयोग किया जाता है. बता दें कि कोबाल्ट एक रियल अर्थ मेटल है जो आसानी से नहीं मिलता है. इसलिए अब कार कंपनियां कोबाल्ट की जगह निकल का इस्तेमाल कर रही हैं, दरअसल निकल कोबाल्ट की तुलना में काफी सस्ता होता है. निकल की मीनिंग पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचती है. वहीं कोबाल्ट और लिथियम जैसे मेटल की मीनिंग भी पर्यावरण को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा रही है. आपको जानकर हैरानी होगी की इलेक्ट्रिक वाहनों का कार्बन फुटप्रिंट नॉर्मल गाड़ियों की तुलना में काफी अधिक होता है.
हाल ही में किए गए एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियों की तुलना में ज्यादा पॉल्यूशन फैला सकती हैं. Emission Analytics के अनुसार इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ब्रेक और टायर से होने वाला पार्टिकुलेट मैटर पेट्रोल और डीजल वाली वाहनों की तुलना में लगभग 1,850 गुना ज्यादा हो सकता है इसका कारण है ईवी गाड़ियों का ज्यादा वजन होता है. बता दे कि ईवी नॉर्मल गाड़ियों की तुलना में अधिक वजन होता है.
दरअसल ईवी गाड़ियों का ज्यादा वजन इसकी बैटरी के कारण काफी बढ़ जाता है. वजन अधिक होने कारण ब्रेक पैड और टायर पर दबाव काफी पड़ता है जिससे घिसाव ज्यादा होता है, जिस कारण प्रदूषण फैलता है. इतना ही नहीं ईवी की बैटरी बनाने में भी पर्यावरण को अच्छा खासा नुकसान होता है. यही कारण है कि ईवी गाड़ियां पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियों की तुलना में अधिक पॉल्यूशन करती है हालांकि शहरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने में ईवी अहम भूमिका निभा सकती हैं.
यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Grand News इसकी पुष्टि नहीं करता है.