रवि विदानी, महासमुंद। Mahasamund : एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है — स्मार्ट क्लास, यूनिफॉर्म, फ्री किताबों से लेकर पोषणयुक्त मध्यान्ह भोजन तक की योजनाएं चलाई जा रही हैं।
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लेकिन जमीनी हकीकत क्या है — इसकी एक बानगी महासमुंद जिले के चनाट मिडिल स्कूल में देखने को मिली है। जहां बच्चों के भोजन से समझौता किया जा रहा है… और मामला इतना गंभीर है कि अब गांववालों को शिकायत करनी पड़ रही है।
हर दिन सिर्फ “आलू मखना” की सब्जी दी जाती है
बसना ब्लॉक के चनाट मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन योजना मज़ाक बनकर रह गई है। बच्चों ने बताया कि उन्हें हर दिन सिर्फ “आलू मखना” की सब्जी दी जाती है, मेन्यू में भले ही दाल, चावल, हरी सब्ज़ियां या फल लिखे हों — लेकिन स्कूल में ये कभी नहीं मिलता। इससे तंग आकर बच्चे अब मध्यान्ह भोजन खाना ही छोड़ने लगे हैं।
खाने में न तो गुणवत्ता है और न ही स्वच्छता
बच्चों की लगातार शिकायत के बाद पालकों और पंचायत सदस्यों ने स्कूल का अचानक निरीक्षण किया। मौके पर न तो खाना गुणवत्ता के अनुरूप था, न ही स्वच्छता के मानक पूरे हो रहे थे। इस पर ग्राम पंचायत ने पंचनामा बनाकर पूरे मामले की शिकायत शिक्षा विभाग में दर्ज कराई है।
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