नयी दिल्ली। बिहार में एनडीए सरकार के गठन और देशभर में हुए विभिन्न उपचुनाव में भाजपा को मिली सफलता के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। विस्तार की राह देख रहे नेताओं का मेल-मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है। संसद के अगले सत्र के पहले मोदी सरकार के विस्तार की संभावना है, हालांकि, अभी सत्र को लेकर स्थिति साफ नहीं है।
भाजपा संगठन की टीम बनने और बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे राजग के पक्ष में जाने के बाद भाजपा के कई नेताओं की नजर केंद्रीय मंत्रिपरिषद के संभावित विस्तार पर लगी हुई है। भाजपा के साथ सहयोगी दलों खासकर जदयू में भी इस बार संभावित विस्तार की चर्चाएं हो रही हैं। जदयू ने अभी तक खुद को केंद्र सरकार से दूर रखा है, लेकिन अब बदली हुई परिस्थितियों में केंद्र सरकार में हिस्सेदारी कर सकता है। खासकर तब जबकि राजग में लोजपा कमजोर पड़ी है और उसके इकलौते मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार से केवल भाजपा का प्रतिनिधित्व बचा है। राजग के एक और सहयोगी और दलित नेता रामदास अठावले को भी पदोन्नति मिल सकती है।
इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा भाजपा के भीतर है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अभी तक एक भी विस्तार नहीं हुआ है और कई मंत्रियों के पास तीन से चार मंत्रालय हैं। ऐसे में विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों तक से संभावित दावेदार मुलाकात कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश उपचुनाव में बड़ी जीत के बाद शिवराज सिंह सरकार अब आसान बहुमत के साथ सत्ता में है। ऐसे में प्रदेश में भाजपा को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चर्चा में है। सूत्रों का कहना है कि संसद के अगले सत्र के पहले विस्तार किया जा सकता है। हालांकि कोरोना काल के चलते संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखें अभी तय नहीं हो पाई हैं। इस बात की भी संभावना है कि इसे अगले साल के बजट सत्र के साथ जोड़ दिया जाए।