भारतेन्दु कौशिक, बिलासपुर। CG Video : जिले के तखतपुर विकासखंड अन्तर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कछार के प्राथमिक शाला स्कूल के छोटे-छोटे बच्चें गंदी तालाब में उतरकर खाने का बर्तन धो रहे है। यहां बच्चें पढ़ने-लिखने के बजाय साफ-सफाई करते नजर आए। ढनढन गांव से आई तस्वीरें छत्तीसगढ़ के शिक्षा तंत्र की वो सच्चाई बयान कर रही हैं, जो न सिर्फ चिंता में डालती हैं, बल्कि सिस्टम की नींव पर भी सवाल खड़े करती हैं।
स्कूल ऐसे जो कभी भी गिर जाएं
स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। इसमें पढ़ने वाले बच्चे भगवान का रूप होते है।जिनको मौजूद शिक्षक,स्कूल पढ़ने आए बच्चो को शिक्षा देते है।लेकिन विकासखंड तखतपुर अंतर्गत ग्राम ढनढन के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। स्कूल का हालतइतनी बदतर है कि वहां पढ़ रही बच्चियों को हर दिन अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बदहाली और गंदगी से भी जूझना पड़ रहा है।
गंदगी, पीने का पानी नहीं
मिड-डे मील के बाद जब बर्तनों की सफाई की बारी आती है,तो बच्चें गंदे और कीचड़युक्त तालाब में जाकर खुद बर्तन धोते हैं। जिससे कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। वहीं स्कूल का शौचालय भी बंद पड़ा है और उस पर ताला लगा है। रसोई की दीवारें रिस रही हैं, छत जर्जर है। और माहौल, पढ़ाई के लिए नहीं, बल्कि बीमारी के लिए उपयुक्त बन चुका है।
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शिक्षको ने बताया कि कई बार पंचायत और सरपंच को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी विजय टांडे ने कहा कि जल्द ही बीईओ से जांच कराकर इसका रिपोर्ट मंगाकर इसका उपाय किया जाएगा।
अब सवाल यह है कि क्या “बेटी पढ़ाओ” का मतलब अब “बेटी से बर्तन धुलवाओ” बन चुका है? क्या बच्चें शिक्षा की उम्मीद लेकर तालाब में बर्तन धोने जाएंगी, और दलदल से होकर अपना भविष्य ढूंढ़ेंगी।