डेस्क। थिएटर में रोमांस का दौर फिर लौट आया है। अब एक और म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। खास बात यह है कि इस फिल्म से दो नए कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख रहे हैं। हम बात कर रहे है फिल्म ‘सैयारा’ की, जिसके फिल्ममेकर मोहित सूरी है, जो पहले भी ‘आशिकी 2’, ‘वो लम्हे’, ‘जहर’ और ‘एक विलेन’ जैसी इमोशनल लव स्टोरीज दे चुके हैं, इस बार यशराज फिल्म्स के साथ मिलकर एक बार फिर टूटे दिलों की आवाज लेकर आए हैं। फिल्म का म्यूज़िक पहले ही सोशल मीडिया पर चर्चा में है, पर पूरी फिल्म के म्यूज़िक में उतना दम नहीं देखने को मिला। वहीं मोहित सूरी ने सैयारा फिल्म में कुछ ऐसे सीन डाले है जो दर्शकों को आशिकी 2 की याद दिलाते है।
फिल्म की कहानी
‘सैयारा’ फिल्म एक इमोशनल लव स्टोरी है, जिसमें अनीत पड्डा और आहान पांडे पहली बार एक साथ स्क्रीन साझा कर रहे हैं। यह फिल्म उन दो जिंदगियों की कहानी है जो अपने-अपने टूटे अतीत के ज़ख्मों को लेकर चल रही हैं, लेकिन एक-दूसरे की आवाज़ बनकर फिर से जीना सीखती हैं। वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) को कविताएं लिखना बेहद पसंद है, लेकिन अपने जज़्बातों को दुनिया से छुपाकर रखती है। उसकी ज़िंदगी तब टूट जाती है जब उसकी शादी के दिन उसका मंगेतर उसे छोड़ देता है। छह महीने बाद वाणी को एक न्यूज़ चैनल में इंटर्न के तौर पर काम करती है, जहां उसकी मुलाकात होती है कृष कपूर (आहान पांडे) से, जो कि एक गुस्सैल लेकिन टैलेंटेड सिंगर है, जो खुद को साबित करने और पैसे कमाने की जद्दोजहद में है।
वहीं जब वीणा की डायरी कृष को मिलती है तो वह वाणी की एक पुरानी कविता पढ़ता है, और उस पर गाना बनाने की जिद करता है। इसी सफर में दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता पनपने लगता है। जो बाद में प्यार में बदल जाता है, मगर प्यार की इस राह में कई उलझनें देखने को मिलती हैं। वीणा को भूलने की बिमारी है, और कृष के पिता शराब के नशे में चूर रहते है, यही दोनों हालातों के बीच कई उतार चढ़ाव देखने को मिलते है। फिल्म में आखिर में वीणा कृष की सफलता पर रोड़ा नहीं बनना चाहती और उसे छोड़कर कहीं चली जाती है, इस दौरान कृष वीणा को ढूंढ़ने के लिए वीणा द्वारा लिखे कविता का गाना बनाता है, और देखते ही देखते कृष बड़ा सिंगर बन जाता है, वहीं एक साल बाद कृष वीणा को ढूंढ निकालता है, और फिर दोनों एक दूसरे से शादी कर लेते है। इससे ज़्यादा बताना स्पॉइलर होगा।
अभिनय
आहान पांडे ने ‘कृष कपूर’ जैसे जटिल किरदार को बड़ी सादगी और असरदार अंदाज़ में निभाया है। फिल्म की शुरुआत में कृष थोड़ा रूखा और दूरी बनाए रखने वाला लगता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, आहान की आंखों और उनके हावभाव में वो भीतर छुपा दर्द और भावनाएं गहराई से उभरती हैं। कृष बाहर से सख्त दिखता है, लेकिन अंदर से बेहद संवेदनशील है और आहान ने इस रोल में अच्छा प्रदर्शन किया है।
अनीत पड्डा ने वाणी के किरदार को बहुत ही सच्चाई और मासूमियत से निभाया है। वाणी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जो ऑडियंस को झकझोर देता है। स्क्रीन पर उनका डर, स्ट्रगल और फिर भी मुस्कराते रहना, ये सब बहुत असरदार लगता है। उनकी मासूमियत और इमोशंस स्क्रीन पर पूरी तरह महसूस होते हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं कि आहान और अनीत की जोड़ी में एक ताजगी और ईमानदारी है, जो आजकल के कई नए कलाकारों में नहीं दिखती।
स्क्रीनप्ले
कुछ सीन जरूरत से ज़्यादा वक्त लेते हैं और थोड़ा प्रेडिक्टेबल भी हैं। लेकिन फिल्म का इमोशनल ग्रैविटी उसे बैलेंस कर देता है। दूसरे हाफ में वाणी और कृष के बीच के इमोशनल मोमेंट्स दिल को छू जाते हैं, बिना कुछ कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं।
निर्देशन
मोहित सूरी, जिन्होंने ‘आशिकी 2’, ‘एक विलेन’, ‘वो लम्हे’ जैसी भावनात्मक फिल्में बनाई हैं, उन्होंने ‘सैयारा’ में भी वही दर्द और गहराई दिखाने की कोशिश की है। कहानी के कुछ हिस्से थोड़े लंबे जरूर लगते हैं, लेकिन उनका इमोशनल ट्रीटमेंट ऑडियंस को बांधे रखता है। मोहित ने पहली बार यशराज फिल्म्स के साथ काम करते हुए अपने अंदाज में एक नई जोड़ी को पेश किया है और उन्होंने इसे एक यादगार अनुभव बना दिया है।
संगीत
फिल्म का म्यूजिक इसकी आत्मा है। टाइटल ट्रैक ‘सैयारा’ दिल छू जाता है और खत्म होने के बाद भी जहन में रहता है। बाकी गाने उतना प्रभाव नहीं छोड़ते, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर हर इमोशनल सीन को और गहराई देता है। मिथून, फहीम अब्दुल्ला, विशाल मिश्रा, सचेत-परंपरा और तनिष्क बागची की टीम ने कहानी के इमोशंस को संगीत से खूबसूरती से जोड़ा है।
कमजोर पहलू
फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी लगती है, जिससे ऑडियंस को कहानी में घुलने-मिलने में थोड़ा समय लगता है। कुछ सीन जरूरत से ज्यादा लंबे हैं और कुछ डायलॉग्स बार-बार जैसे लगते हैं। कई जगहों पर कहानी पहले से समझ में आने लगती है, खासकर अगर आपने पहले भी रोमांटिक फिल्में देखी हैं। फिल्म में कोई बड़ा ट्विस्ट या चौंकाने वाला मोड़ नहीं है, जिससे यह थोड़ी सीधी-सादी लगती है। क्लाइमेक्स और कुछ इमोशनल सीन में इमोशंस ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए हैं, जो कुछ ऑडियंस को थोड़ी बोरिंग लग सकती हैं।
इमोशनल लोगों को पसंद आएगी फिल्म
‘सैयारा’ एक सीधी-सादी लेकिन असरदार प्रेम कहानी है, जो ऑडियंस के दिल में उतर जाती है। ये फिल्म सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई और सच्चे प्यार की ताकत को दिखाती है। अगर आप इमोशनल, सच्ची एक्टिंग और खूबसूरत म्यूजिक वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो ‘सैयारा’ जरूर देखें। ये फिल्म आपको इमोशंस की उस दुनिया में ले जाएगी, जहां हर सीन कुछ महसूस कराता है।
एक सीन में जब आहान का किरदार एक पत्रकार पर हमला करता है, सिर्फ इसलिए कि उसने एक नेपोटिज्म वाले स्टारकिड की तारीफ की, वहां आप थोड़ा मुस्कुराते हैं। वह एक लंबा मोनोलॉग भी बोलता है नेपोटिज़्म और असली टैलेंट को लेकर।
अब ये व्यंग्य था या संयोग, ये तो फिल्म बनाने वालों से पूछना पड़ेगा। लेकिन इतना ज़रूर है कि सूरी लगातार जुनून और दर्द से भरी कहानियां कहने में विश्वास रखते हैं।