[जिला मुख्यालय]।
“बुढ़ापे में बेटा सहारा बने, ये सपना था… मगर उसने तो सिर से छत ही छीन ली।”ये दर्दभरे शब्द हैं 80 वर्षीय अहमद बेग के, जो अपने ही बेटे द्वारा बेदखल किए जाने के बाद पिछले 24 घंटों से गांधी मैदान चौक पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। परिवार के कुछ सदस्यों के साथ वे गांधी मैदान में डटे हुए हैं, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
बुजुर्ग की हालत बिगड़ती जा रही है। बीपी और शुगर की बीमारी से जूझ रहे अहमद बेग को दवाइयां खाली पेट लेने के कारण घबराहट, चक्कर और कमजोरी की शिकायत हो रही है। स्वास्थ्य जोखिम के बावजूद उन्होंने साफ कहा है—“न्याय मिले बिना यह भूख हड़ताल खत्म नहीं होगी।”
क्या है मामला?
अहमद बेग का आरोप है कि उनके ही बड़े बेटे ने उन्हें उनके मकान से जबरन बेघर कर दिया है। बेटा न घर खाली कर रहा है, न ही किसी समझौते को मानने को तैयार है। विवश होकर बुजुर्ग को न्याय के लिए शासकीय कार्यालयों के समक्ष धरना देना पड़ा।
मामले को लेकर आमजन और सामाजिक कार्यकर्ताओं और आमजन में भी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जब एक बुजुर्ग नागरिक को खुले आसमान के नीचे बैठकर अपने ही घर के लिए लड़ना पड़े, तो यह सिस्टम पर सवाल है आखिर बुजुर्ग को क्यों भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा