नई दिल्ली। शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीधे कोई आदेश देने से मना कर दिया है। लेकिन राज्य सरकारों से कहा है कि उन्हें शराब की सीधी बिक्री के बजाय होम होम डिलीवरी या दूसरे तरीकों पर विचार करना चाहिए।
गुरुस्वामी नटराज नाम के याचिकाकर्ता की याचिका में केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसमें शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील साईं दीपक का कहना था शराब की दुकानों पर जिस तरह से भीड़ उमड़ पड़ी, यह बहुत खतरनाक है। वहां सोशलिस्ट डिस्टेंसिंग का जरा भी पालन नहीं हो रहा है। सच बात यह है कि दुकानों की संख्या के मुकाबले शराब के खरीदार बहुत ज्यादा हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो पाना बहुत मुश्किल है।“
याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा, “दरअसल सरकार की अधिसूचना ही गलत है। शराब की दुकानों को इस तरह से नहीं खोला जाना चाहिए था।“ इस पर 3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, “शराब की होम डिलीवरी जैसे उपायों पर पहले से चर्चा हो रही है। हम अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल एक जनहित याचिका पर क्या आदेश दे सकते हैं?“
वकील ने सीधी बिक्री की जगह दूसरे उपाय अपनाने पर जोर देते हुए कहा, “हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि शराब की दुकानों को खोल देने से जो परिस्थितियां बनी हैं, उससे आम आदमी के स्वास्थ्य और जीवन को खतरा न हो। इसलिए, कोर्ट गृह मंत्रालय या नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी से कहे कि वह शराब की बिक्री को लेकर स्पष्टीकरण जारी करें। राज्य उस स्पष्टीकरण के मुताबिक चलें। कम से कम जब तक लॉकडाउन जारी है, तब तक शराब की दुकानों को न खोला जाए।“
बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अशोक भूषण ने सुनवाई के अंत में कहा, “हम इस मामले में सीधे कोई आदेश नहीं देंगे। लेकिन राज्य सरकारें याचिका में कही गई बातों पर विचार करें। वह यह देखें कि क्या शराब की सीधी बिक्री न करते हुए होम डिलीवरी या कोई और उपाय अपनाया जा सकता है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके।