रायपुर। इंद्रमणि ग्रुप के ठिकानों में पिछले दिनों जीएसटी के छापे के बाद बरामद किए गए दस्तावेजों की जांच की जा रही है। खबर है कि जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही विस्तृत जानकारी सामने आएगी। बीते दिनों माइनिंग डिपार्टमेंट ने जीएसटी को टैक्स चोरी से जुड़ी लीड दी थी, जिसके बाद रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और खरसिया के दफ्तरों में छापा मारा गया था।
इस पूरे मामले में जीएसटी कमिश्नर रमेश शर्मा का कहना है कि इंद्रमणि ग्रुप की ओर से सबमिट किए गए बिल को माइनिंग डिपार्टमेंट से परीक्षण कराया जा रहा है, माइनिंग ने जो टीपी जारी की थी, उससे बिल का मिलान किया जा रहा है। एक टीम गठित की गई है, जो स्टाॅक की एक्चुअल क्वांटिटी की जांच कर रही है। इसके बाद ही अंतिम डाटा तैयार हो पाएगा।
आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि पिछली सरकार में इंद्रमणि ग्रुप के मालिक सुनील अग्रवाल को विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था। कहा जा रहा है कि उस दौरान टैक्स से जुड़े मामले में बड़ा घालमेल किया गया, लेकिन अधिकारी की मदद से कभी जांच की आंच ग्रुप तक नहीं पहुंची। शासन के आला अधिकारी यह भी बताते हैं कि सुनील अग्रवाल के संबंध एक निलंबित आईपीएस अधिकारी से भी बेहद गहरे रहे हैं। यही वजह है कि पिछली सरकार में उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बहरहाल अब भूपेश सरकार में जीएसटी चोरी की शिकायत पर जारी जांच में कई अह्म खुलासों का दावा किया जा रहा है। ब्यौरा सामने आने के बाद ही वास्तविकता का पता चलने की बात भी कही जा रही है।