लातेहार. एक तरफ देश जहां तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ रह है वहीं कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां अंधविश्वास अभी भी अपनी जगह बनाए हुए है. यही नहीं झारखंड के एक गांव में बाकायदा इसके लिए क्लासेस भी लगाई जाती हैं. लातेहार के बवनहेरुआ गांव में अंधविश्वास की क्लासेस चलती हैं जिसमें सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जानवरों का जहर उतारने की ट्रेनिंग दी जाती है.
ख़ास बात यह है कि यह क्लासेस हर दस साल में चलती हैं जिसमें यूपी, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से तकरीबन 40 से ज्यादा ओझा आते हैं. जोकि यहां तंत्र मंत्र सिखते हैं. तकरीबन चार महीने तक चलने वाली क्लासेस के बाद ये सभी अपने अपने इलाके में झाड़ फूंक का काम करने चले जाते हैं.
वहां युवा से लेकर अधेड़ उम्र तक के लोग साधना में लीन थे. जिनके हाथों में चावल, सिन्दूर और मुर्गा इत्यादि थे. यहां साधना के दौरान पहले बकरे और उसके बाद मुर्गे की बलि दी गयी. बलि देने के बाद वहां मौजूद सभी लोग खाना खाने के लिए चले गए जिसके बाद इस पूरी क्रिया का समापन किया गया.
यहां मौजूद साधकों के गुरु टाना भगत का कहना था कि यह क्लासेस सावन कि नागपंचमी से शुरू होती हैं. जिसमें हर दिन की तंत्र साधना के बाद पूरे गांव की परिक्रमा की जाती है. उन्होंने बताया कि इस दौरान सभी साधक छः गांवों में भिक्षा मांगते हैं. आगे बातचीत में बताया गया कि यहां सिद्धि लेने के लिए लोग आते हैं. जिसके मिलने के बाद वे सभी मंत्र के जरिये जहर निकालने का काम करते हैं.