ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज हाल ही में खत्म हुई चार मैचों की टेस्ट सीरीज में भारतीय गेंदबाजों द्वारा की गई लेग-साइड (शरीर के आस-पास) गेंदबाजी के जाल में फंस गए, जिसकी योजना पिछले साल जुलाई में ही बननी शुरू हो गई थी। भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने शुक्रवार को बताया कि यह योजना टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री के दिमाग की उपज थी, जिस पर दौरा शुरू होने के चार महीने पहले ही काम शुरू हो गया था। तेज गेंदबाजों के साथ स्पिनरों ने भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की धुरी स्टीव स्मिथ और मार्नुस लाबुशेन को लेग में कैच पकड़ने के लिए फील्डरों को लगाकर गेंदबाजी की और यह योजना काफी सफल रही। भारत ने ब्रिसबेन में खेले गए चौथे टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सीरीज 2-1 से अपने नाम की।
अरुण ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”रवि (शास्त्री) ने जुलाई में मुझ से बात की थी और हमने ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर चर्चा कर रहे थे कि हमें ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को ऑफ साइड (चेहरे के सामने की तरफ) की ओर गेंदबाजी नहीं करनी होगी। हमारे पास अपना विश्लेषण था और हमने महसूस किया कि स्मिथ और लाबुशेन के अलावा अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने ऑफ में कट पूल लगाकर काफी रन बटोरते हैं।”
उन्होंने कि टीम ने न्यूजीलैंड के गेंदबाजों खासकर नील वैगनर की गेंदबाजी से भी काफी सीख ली, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड सीरीज के दौरान स्मिथ को परेशान किया था। इस 58 साल के कोच ने कहा कि हमने न्यूजीलैंड की गेंदबाजी से सीख ली। उन्होंने स्टीव स्मिथ को बॉडीलाइन (शरीर पर) गेंदबाजी की थी और वह बहुत असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रवि ने मुझ से कहा कि मैं चाहता हूं कि आप ऐसी योजना बनाएं, जिससे ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ियों को ऑफ साइड के बाहर मौके ना दिए जाए।
अरुण ने कहा कि, ”उन्होंने कहा कि हम विकेट के सामने सीधी गेंदबाजी करेंगे और लेग साइड में फील्डर लगाएंगे ताकि बल्लेबाज को रन बनाने में मुश्किल हो। इसने हमारे पक्ष में काम किया।” अरुण ने कहा कि इस योजना के बारे में कप्तान विराट कोहली को बताया गया। उन्होंने कहा कि इस बारे में बातचीत जुलाई में ही शुरू हो गई थी और फिर हमने विराट से चर्चा की।
गेंदबाजी कोच ने कहा कि विराट ने एडिलेड में इसकी शुरुआत की और फिर मेलबर्न से रहाणे ने इसे शानदार तरीके से जारी रखा। गेंदबाजों ने अपने काम को बेहतरीन तरीके से किया। लिमिटेड ओवरों की सीरीज के बाद शार्दुल ठाकुर, वॉशिंगटन सुंदर और टी नटराजन को दौर पर रोके रखा गया और प्रमुख गेंदबाजों के चोटिल होने के कारण इन तीनों को ब्रिसबेन टेस्ट में खेलने का मौका मिला। इस मैच में इन तीनों खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी।