अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर आज छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े कई घटक संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में कई जगह राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपे गए हैं। इन ज्ञापनों के जरिये केंद्र सरकार से कॉर्पोरेटपरस्त और किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल की सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की मांग की गई है। इस आशय के ज्ञापन कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा, रायगढ़, बस्तर, राजनांदगांव, धमतरी, मरवाही, बिलासपुर सहित कई जिलों के अनेकों स्थानों में राज्य सरकार के स्थानीय अधिकारियों को सौंपे गए हैं। ज्ञापन देने से पूर्व कई स्थानों पर धरने, प्रदर्शन और सभा भी आयोजित किये गए। ज्ञापन सौंपने के बाद सैकड़ों किसान और ग्रामीण जन दिल्ली रवाना हो रहे हैं, जहां वे किसान गणतंत्र परेड में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगे।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी सरकारी कार्यक्रमों के बाद किसान गणतंत्र परेड आयोजित किये जाएंगे।
केंद्र सरकार द्वारा इन कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए उन्होंने कहा कि संविधान सरकार को संसद द्वारा पारित किसी कानून पर रोक लगाने का अधिकार ही नहीं देता, इसलिए यह प्रस्ताव धोखेबाजी है और इन कानूनों की वापसी ही एकमात्र विकल्प है। इस आंदोलन में डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है और अंतिम सांस तक खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले इन कॉर्पोरेटपरस्त कानूनों के खिलाफ देश के किसान और अवाम मिलकर संघर्ष करेंगे।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि निजी मंडियों के अस्तित्व में आने के बाद और खाद्यान्न व्यापार को विश्व बाजार के साथ जोड़ने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य की पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी। इसलिए मोदी सरकार को अपने आश्वासन से ऊपर उठकर न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाना चाहिए, जिसमें कम कीमत पर खरीदने वाले को सजा का भी प्रावधान हो।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के किसान न केवल अपने जीवन-अस्तित्व और खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि वे देश की खाद्यान्न सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा संप्रभुता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं। उनका संघर्ष उस समूची अर्थव्यवस्था के कारपोरेटीकरण के खिलाफ भी हैं, जो नागरिकों के अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह कर देगा। इसलिए किसान सभा नेताओं ने आम जनता से अपील की है कि देश और अवाम को बचाने की इस लड़ाई में वे किसान आंदोलन को अपना समर्थन व सहयोग दें।
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