नई दिल्ली। केंद्र के कई मंत्री हाल के वर्षों में भारत को इलेक्ट्रिक कारों का हब बनाने की मंशा जता चुके हैं। सरकार के भीतर भी इस पर गहन चर्चा हुई है कि आगामी बजट में दुनिया के समक्ष भारत में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर स्पष्ट खाका पेश किया जाए। इस बारे में ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों पर सुझाव देने वाले नीति आयोग के विशेष समूह से वित्त मंत्रालय का गहन विमर्श हो चुका है।
नीति आयोग की तरफ से वित्त मंत्रालय को सौंपे गए सुझाव में कहा गया है कि नीतिगत प्रोत्साहन से भारत इलेक्ट्रिक कार बाजार में छोटी कारों के निर्माण जैसी कहानी दोहरा सकता है। भारत को दुनिया में छोटी कारों की राजधानी के तौर पर जाना जाता है।
वित्त मंत्रालय को यह बताया गया है कि चार दशक पहले जब अमेरिकी व यूरोपीय कार कंपनियां चीन में प्लांट लगा रही थीं, तब भारत उस मौके का फायदा उठाने से चूक गया था। लेकिन इलेक्ट्रिक कारों का मास प्रोडक्शन (बड़े पैमाने पर उत्पादन) अभी शुरू नहीं हुआ है और तकनीकी विकास का काम अभी जारी है। दूसरी तरफ, वैश्विक माहौल की वजह से चीन को लेकर कई तरह की शंकाएं भी हैं। ऐसे में भारत इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी कंपनियों के बीच अपनी पैठ बना सकता है।
सरकार में चल रहे मंथन के बारे में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक, बजट की घोषणाओं का मोटे तौर पर उद्देश्य यह होगा कि सिर्फ टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियां ही भारत के प्रति आकर्षित न हों, बल्कि इस उद्योग से जुड़ी छोटी-बड़ी सब वैश्विक कंपनियां भारत को अपने कारोबार के केंद्र में रखने के लिए प्रोत्साहित हों। इसके लिए आत्मनिर्भर भारत की तहत ही कदम उठाया जाएगा, लेकिन इसका स्वरूप वैश्विक होगा।