नई दिल्ली। देश के 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जय जवान, जय किसान को केंद्र में रखा। कृषि सुधारों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को सरकार की मंशा पर संदेह नहीं करने का परोक्ष संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि सुधारों को लेकर शुरुआत में कुछ आशंकाएं हो सकती हैं, मगर किसानों के लिए सरकार के अंदर समर्पण भाव पर संदेह नहीं होना चाहिए। तीनों सेना के कमांडर की भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपति ने सीमा पर बार- बार घुसपैठ का प्रयास कर रहे चीन की विस्तारवादी नीतियों का भी पूरी ताकत से मुकाबला करने का साफ संदेश दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की सुरक्षा को चुनौती देने पर माकूल जवाब दिया जाएगा। सेना, वायुसेना और नौसना ऐसे किसी भी दुस्साहस को नाकाम करने के लिए पूरी तैयारी के साथ मोर्चे पर तैनात हैं और भारत अपनी सुरक्षा में पूरी तरह सक्षम है।
भारत की जल, थल और वायुसेना हर चुनौती का जवाब देने को तैयार
राष्ट्रपति ने विशेष रूप से इस मौके पर जवानों और किसानों के योगदान की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि गलवन और सियाचिन घाटी में माइनस 50 से 60 डिग्री सेल्सियस की बफीर्ली ठंड तो जैसलमेर में 50 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में हमारे सैनिक देश की सुरक्षा का अपना दायित्व निभा रहे हैं। वहीं, कोरोना काल की चुनौती में किसानों ने देश में अनाज उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी।
चीन को किया आगाह, राष्ट्रीय सुरक्षा के किसी प्रयास का देंगे माकूल जवाब
सिक्किम में चीनी घुसपैठ की ताजा कोशिशों को नाकाम किए जाने की खबरों के बीच राष्ट्रपति ने जून, 2020 में हुई गलवन घाटी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले साल कई मोर्चो पर अनेक चुनौतियां आई, जिनमें हमें अपनी सीमाओं पर विस्तारवादी गतिविधियों का सामना करना प़़डा। ऐसी गतिविधियों को नाकाम करते हुए हमारे 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। देशवासी इन अमर जवानों के प्रति कृतज्ञ हैं।