नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी के दिन दिल्ली में हुए उपद्रव में आइएसआइ-खालिस्तान गठजोड़ का पता चला है। दोनों मिलकर न केवल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों को बरगला रहे हैं। बल्कि उपद्रव करने वालों को फंडिंग भी कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुआ उपद्रव भी इसी का नतीजा था।
लिहाजा दिल्ली पुलिस की कोशिश है कि आइएसआइ-खालिस्तान गठजोड़ मौके का फायदा न उठा सके। इसके लिए पुलिस की स्पेशल सेल तमाम संदिग्धों पर नजर रख रही है। सेल के पुलिस अधिकारी पंजाब और कश्मीर के पुलिस अधिकारी से संपर्क में हैं। संदिग्ध और गैंगस्टरों पर नजर रखी जा रही है।
किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस को तीन सौ से ज्यादा ऐसे नए ट्विटर अकाउंट का पता चला था, जिनसे लगातार भड़काऊ पोस्ट किए जा रहे थे। इन सभी का संचालन फर्जी नाम व खाते के माध्यम से पकिस्तान से किया जा रहा था। जांच में यह भी बात सामने आई कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर साजिश रच रही थी। इसके बाद इन सभी खातों को बंद करा दिया गया था। बावजूद इसके स्पेशल सेल ने आनलाइन मीडिया पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक खालिस्तान समर्थित नेता पाकिस्तान की शह पर लगातार भारत में गड़बड़ी फैलाने में जुटे हुए हैं। उनके समर्थन से ही खालिस्तान समर्थक लोगों को गुमराह कर गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर उपद्रव करवाने के बाद झंडा फहरवाने में सफल रहे। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि खालिस्तानी नेता दोबारा से कट्टरपंथी उग्रवाद को पुनर्जीवित करने में जुटे हैं। इसके लिए आतंकी और गैंगस्टरों का सहारा लिया जा रहा है।
खालिस्तानियों ने गणतंत्र दिवस पर लाल किले में खालिस्तानी झंडा फहराने पर लोगों को पुरस्कृत करने की भी घोषणा की थी। यही नहीं आइएसआइ उन्हें धन भी उपलब्ध करवा रहा है। यह धन अवैध हथियार और मादक पदार्थ की तस्करी से प्राप्त किया गया है। अपने निजी फायदे के लिए कुछ राजनीतिक संगठन भी पीछे के रास्ते उपद्रवियों को समर्थन दे रहे हैं।
जांच में पंजाब के गैंगस्टर और खालिस्तानी कट्टरपंथियों के बीच पहली बार संबंध वर्ष 2016-17 में सामने आए थे। अधिकारी ने बताया कि गत महीने पुलिस ने पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद भी मिला था।