दरभंगा. लॉकडाउन की मार सबसे अधिक उन गरीबों पर पड़ी है जो आमदिनों में भी दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते है। उनके लिए इनदिनों भूखे मरने की नौबत आई, तो कोई साइकिल से तो कोई पैदल अपने घर की ओर चल पड़ा। इस मुश्किल वक्त में साहस की ऐसी बहोत सी कहानियां भी सामने आई हैं, जिससे पता चलता है कि अपनी हिम्मत के दम पर इंसान बड़ी चुनौतियों का भी सामना कर सकता है।
ऐसी ही एक कहानी है बिहार के दरभंगा जिले के 13 साल की ज्योति कुमारी की। ज्योति के पिता मोहन पासवान दिल्ली में रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते थे। एक हादसे में उनका घुटना टूट गया। जख्म तो भर गए, लेकिन अब वह ठीक से चल भी नहीं पाते हैं। परिवार इस संकट से उबर पाता इससे पहले ही लॉकडाउन लग गया। जमा किए गए पैसे और राशन खत्म हो गए तो भूखे मरने की नौबत आ गई। सामने एक ही रास्ता था घर लौटना।
ज्योति ने हिम्मत दिखाई। उसने पिता से कहा कि यहां भूखे मरने से अच्छा है चलिए गांव चलते हैं। पिता पहले इसके लिए तैयार न हुए। कहा- बेटी मेरा वजन कोई 20-30 किलोग्राम नहीं है। दरभंगा दिल्ली से 1200 किलोमीटर दूर है। तुम कैसे इतनी दूर मुझे बैठाकर साइकिल चला पाओगी। ज्योति ने कहा कि पापा चलिए, मैं आपको लेकर घर जा सकती हूं।