रायपुर। राजधानी में खम्हारडीह पुलिस एक युवती की आत्महत्या मामले को लेकर कटघरे में खड़ी है। वाकया एक माह पुराना है, जिसमें खम्हारडीह पुलिस ने राधा निषाद को थाना बुलाया था। दोपहर 1 बजे अपनी दुपहिया से खम्हारडीह थाना पहुंची राधा को रात 9 बजे पुलिस वाहन से उसके किराए के मकान तक छोड़ा गया। घर पहुंचते ही राधा जिस बिल्डिंग में किराए से रहती थी, उसके तीन मंजिला छत पर पहुंची और उसे छोड़ने गई पुलिस टीम के सामने उसने छत से छलांग लगा दिया। इसके बाद मौके पर खड़ी पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर 8 घंटे तक राधा निषाद से पुलिस ने ऐसी क्या पूछताछ की, किस तरह से की ? जिसकी वजह से राधा अपनी दुपहिया से घर नहीं लौटी ? उस पर आखिर ऐसे क्या इल्जाम लगाए गए, जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने आत्मघाती कदम उठाया ? क्यों उसने खुदकुशी का रास्ता चुना ?
इस पूरे मामले में मृतिका राधा के परिजनों ने बताया कि जब उसे थाना बुलाया गया, उसकी जानकारी परिजनों को नहीं दी गई। दोपहर 1 बजे से लेकर 9 बजे तक उसे थाना में बिठाकर रखा गया, पर परिजनों के बार-बार किए गए फोन का जवाब नहीं दिया गया। थाना पहुंचने पर परिजनों को राधा से मिलने तक नहीं दिया गया। ये तमाम बातें पुलिस की संदिग्ध कार्यवाही और ज्यादती को दर्शाती है, साथ ही एक बड़े सवाल को खड़ा करती है कि आखिर उस युवती ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया था, कि उसके साथ इस तरह की गोपनीय कार्रवाई, वह भी नियम विरूद्ध की गई। जबकि किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद थाना में रखने की इजाजत कानून तब तक नहीं देता, जब तक न्यायालयीन आदेश ना मिल जाए।
इस पूरे मामले में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक खम्हारडीह निवासी कांति निषाद ने राधा पर चोरी का आरोप लगाया था, जिसकी शिकायत थाना में की गई थी। पुलिस ने यदि इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया भी तो 8 घंटे राधा निषाद को भूखे-प्यासे क्यों बिठाया गया ? उसके परिजनों को क्यों नहीं मिलने दिया गया ? न्यायालयीन प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई ? इन तमाम सवालों को लेकर परिजनों ने पुलिस कप्तान से न्याय की गुहार लगाई है।
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