रायपुर। हाथियों की धमक ने धमतरी के कई गांवों में शराबबंदी करा दी है। इस क्षेत्र में इन दिनों महुआ शराब बनाने के लिए न चूल्हों पर हांडी चढ़ रही है और न ही गलियों में महुआ शराब की महक आ रही है। लोगों के पास विकल्प भी नहीं है।
महुआ का गंध मिलते ही हाथी घर पर धावा बोल रहे हैं। कच्ची दीवारें तोड़ महुआ खा जाते हैं। मरता क्या नहीं करने वाली स्थिति है। गांव वालों को परिवार और मकान बचाने के लिए महुआ शराब से तौबा करनी पड़ी है। इन दिनों हाथियों के दो दल धमतरी जिले के नगरी और धमतरी अनुविभाग (ब्लाक) में डेरा डाले हुए हैं।
27 हाथियों का दल ब्लाक मुख्यालय नगरी से 30 किलोमीटर दूर चारगांव, भैंसामुड़ा, मटियाबाहरा, कुदुरपानी और खरका गांव के जंगल में दो महीने से घूम रहा है। अत्यंत पिछड़ी जनजाति में शामिल कमार भी यहां रहते हैं। ग्रामीणों ने हाथियों से परिवार, मकान व फसल को बचाने के लिए महुए की शराब का प्रयोग ही बंद कर दिया है। छत्तीसगढ़ के आबकारी कानून में कमारों को स्वयं के उपयोग के लिए सीमित मात्रा में शराब बनाने की इजाजत है।
नगरी क्षेत्र में जहां हाथियों का दल ठहरा हुआ है, वहां के गांवों में 90-95 फीसद ग्रामीणों ने महुए की शराब पीना, बनाना व महुआ रखना बंद कर दिया है। कमार परिवारों को कुछ मात्रा में महुआ शराब बनाने की शासन से छूट मिली हुई है, इसके बावजूद वे समझदारी दिखाकर न शराब बना रहे हैं और न पी रहे हैं।
-सतोविशा समाजदार, डीएफओ, धमतरी