रायपुर। फसल संरक्षण की सस्ती, परंपरागत और अनूठी तरकीब अपनाते हुए छत्तीसगढ़ ने एक पंथ और कई काज की कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। हर साल संग्रहण केंद्रों में खरीदे गए धान की बड़ी मात्रा जहां नमी, बारिश, ओलावृष्टि, चूहों और दीमक की वजह से खराब हो जाती थी, वहीं इस बार इस क्षति को रोकने के लिए इन केंद्रों में विशेष तरह के पक्के चबूतरों का निर्माण किया गया है। कोरोना-काल के दौरान इन चबूतरों का निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत किया गया है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का निर्माण भी हुआ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ में इस साल किसानों से खरीदे गए धान को सुरक्षित रखने के लिए यह नयी व्यवस्था की गई है। सभी जिलों में कुल 7606 चबूतरों का निर्माण किया गया है। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर इस साल रिकॉर्ड 93 लाख मीटरिक टन से अधिक की धान खरीदी की है। छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद से किसानों से यह सर्वाधिक धान की खरीदी है। इतनी बड़ी मात्रा में खरीदे गए धान को सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती है।
धान संग्रहण केंद्रों में इस साल बड़ी संख्या में बनाए गए पक्के चबूतरों से इन्हें सुरक्षित रखने में भरपूर मदद मिल रही है। प्रत्येक चबूतरे पर तीन-तीन हजार बोरियां रखी जा सकती हैं। संग्रहण केन्द्रों में जरूरत के मुताबिक खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मानकों के अनुरूप इसके लिए 10.6 मीटर लंबाई और साढ़े सात मीटर चौड़ाई के चबूतरे बनाए गए हैं।