छग प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान ने स्वयं उठाए सवाल, दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कही बात
दुर्ग .धार्मिक व सामाजिक संस्था छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा
ने आर्य शिक्षा समिति दुर्ग-भिलाई पर स्कूलों के संचालन में भारी अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है। सभा के अधीन 5 शैक्षणिक संस्थाएं महर्षि दयानंद आर्य उ.मा.विद्यालय मठपारा, गयानगर दुर्ग, कोहका भिलाई के अलावा डीएवी मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल व डीएवी मॉडल बी.एड. कॉलेज ओम परिसर आर्यनगर दुर्ग आती है। जिसका संचालन सभा की उपसमिति आर्य शिक्षा समिति दुर्ग-भिलाई द्वारा किया जाता है, लेकिन इन स्कूलों व कॉलेजों के आय-व्यय का कोई हिसाब नहीं है। वहीं आर्य शिक्षा समिति दुर्ग-भिलाई के
साधारण सभा की बैठकों से भी छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के दो पदेन कार्यकारिणी सदस्यों को अलग रखा जाता है। इसका बड़ा उदाहरण 9 फरवरी को आर्य शिक्षा समिति द्वारा मठपारा में आयोजित साधारण सभा की बैठक में सभा के पदेन कार्यकारिणी सदस्यों को प्रवेश से बलात् रोका जाना है। स्वार्थी तत्वों का यह कृत्य आर्य शिक्षा समिति दुर्ग-भिलाई द्वारा स्कूलों व कॉलेज के संचालन में बड़ी हेराफेरी करने की ओर इशारा करता है। बैठक में प्रवेश पर बलात रोकने की घटना को लेकर छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने कलेक्टर, पुलिसअधीक्षक व सहायक रजिस्ट्रार फम्र्स व
संस्थाएं दुर्ग संभाग को शिकायत कर अनियमितताओं पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है। यह बातें छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान आचार्य अंशुदेव आर्य ने बुधवार को दयानंद परिसर आर्यनगर दुर्ग में मीडिया से चर्चा में कही। इस दौरान सभा के मंत्री दीनानाथ वर्मा, कोषाध्यक्ष चतुर्भुज कुमार आर्य, आचार्य बलदेव राही, प्रबंधक कृष्ण कुमार गुप्ता भी मौजूद थे।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय आर्य प्रतिनिधि सभा म.प्र. एवं विदर्भ मुख्यालय नागपुर एवं उप कार्यालय दुर्ग में संचालित था
छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान आचार्य अंशुदेव आर्य ने बताया कि आर्य प्रतिनिधि सभा पूर्णत: धार्मिक व सामाजिक संस्था है। सभा के स्कूलों व कॉलेज के संचालन के लिए आर्य शिक्षा समिति दुर्ग-भिलाई को पंजीकृत करवाया गया था। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय आर्य प्रतिनिधि सभा म.प्र. एवं विदर्भ मुख्यालय नागपुर एवं उप कार्यालय दुर्ग में संचालित
होता था। विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा नए रुप में अस्तित्व में आई है। सभा के अधीन स्कूल,कॉलेज व अन्य गतिविधियां संचालित होती है, लेकिन कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा सभा के बायलाज के विपरित कार्य करअनियमितताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के अस्तित्व में आने के बाद भी म.प्र. व विदर्भ के सभा को प्रश्रय देकर छत्तीसगढ़ के लोगों को गुमराह करने की कुचेष्ठा की जा रही है। जो न्यायसंगत नहीं है। प्रधान आचार्य अंशुदेव आर्य द्वारा ऐसे स्वार्थी तत्वों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किए जाने की वकालत की गई है।