पूर्वी दिल्ली स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल के परिसर में खड़ी कैट्स एंबुलेंस में दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर (एसआई) ने फंदा लगा लिया। बताया गया है कि एसआई मानसिक रूप से बीमार था। कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद उसे कहीं भर्ती नहीं किया गया था। परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान राजवीर सिंह के तौर पर हुई है।
पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के मुताबिक, राजवीर सिंह दिल्ली पुलिस में बतौर एसआई कार्यरत था। इन दिनों उसकी तैनाती दक्षिण-पूर्वी जिले की डिस्ट्रिक्ट लाइन में थी। वह द्वारका के भारत अपार्टमेंट में रहता था।
मानसिक रूप से बीमार होने के कारण शुक्रवार दोपहर उसने घर से कैट्स एंबुलेंस को फोन किया था। एंबुलेंस राजवीर को लेकर डीडीयू अस्पताल पहुंची, मगर डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दूसरी एंबुलेंस राजवीर को लेकर इहबास अस्पताल पहुंची, वहां भी डॉक्टरों ने उसे भर्ती नहीं किया।
इसके बाद एंबुलेंस राजवीर को जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंची। बताया जाता है कि वहां भी भर्ती नहीं किया गया। कई अस्पतालों के चक्कर काट चुके राजवीर ने जीटीबी अस्पताल परिसर में अपना आपा खो दिया था। वह गुस्सा होकर इधर-उधर भागने लगा था। किसी तरह उसे शांत कराकर वापस एंबुलेंस में बिठाया गया, लेकिन उसने एंबुलेंस में पर्दे और स्प्रिंग के तार से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।
यह बोला अस्पताल प्रबंधन
इहबास अस्पताल के निदेशक डॉक्टर निमेष देसाई का कहना है कि सुबह करीब 11 बजे एक मरीज को कैट्स एंबुलेंस से ओपीडी में लाया गया था। ड्राइवर के अलावा उस मरीज के साथ और कोई नहीं था। डॉक्टर ने मरीज को देखने के बाद बताया कि इसकी पल्स गायब है और आंखें नहीं खुल रही हैं, इसलिए इन्हें तुरंत मेडिकल एमरजेंसी की आवश्यकता है, जिसके बाद मरीज को जीटीबी अस्पताल ले जाया गया। वहीं जीटीबी अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती किया जा रहा था, लेकिन वह शौच जाने की बात कहकर विभाग से बाहर निकल गया। इसके बाद उसने आत्महत्या की।