छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाएं अब सड़क पर हैं। रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल और बीजापुर के कलेक्टर दफ्तर के बाहर शुक्रवार को महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की प्रमुख सरिता पाठक ने कहा कि सरकार की सुपोषण योजना पर हम महिलाओं ने काम किया। गांव-गांव जाकर पहाड़ों, नदियों को पार करके गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों तक पोषक आहार पहुंचाया। सरकार आंगनबाड़ी सहायिका को लगभग 108 रुपए रोजी देती है। इतने कम पैसों में महिलाएं अपने बच्चों को कहां से पोषक आहार दे पाएंगी या अच्छी शिक्षा का इंतजाम करेंगी।
नक्सल चुनौती के बीच भी काम
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि हर महीने 11000 रुपए का मानदेय दिया जाएगा। लेकिन यह वादा अब 2 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। बीजापुर में भी आंगनबाड़ी की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को पूरा करवाने की बात पर जोर दिया।
कलेक्टर दफ्तर के बाहर महिलाएं धरने पर बैठ गईं। जिला अध्यक्ष प्रेमवती नाग ने बताया कि आंगनबाड़ी की सहायिका और कार्यकर्ता, नक्सलियों के खतरे के बाद भी बेहद अंदरूनी ग्रामीण इलाकों मे जाकर सरकारी योजना फायदा ग्रामीणों तक पहुंचाती हैं। मगर हमारी बेहतरी के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही।
सरकार ने माना आंगनबाड़ी की महिलाओं का दम
पिछले साल मुख्यमंत्री ने एक चिट्ठी आंगनबाड़ी की महिलाओं के नाम लिखी थी। उन्होंने आंगनबाड़ी की महिलाओं की तारीफ करते हुए सुपोषण योजना में इनके काम की तारीफ की थी। 26 जनवरी को सीएम ने अपने भाषण में कहा था- सेहत के साथ सुपोषण का गहरा नाता होता है। हमने सार्वभौम पीडीएस योजना लागू करके प्रदेश की 97 प्रतिशत आबादी को पोषण सुरक्षा दी है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से एक वर्ष में 99 हजार बच्चों का कुपोषण मुक्त तथा 20 हजार महिलाओं का एनीमिया मुक्त होना एक बड़ी उपलब्धि है।
4 मार्च तक का अल्टीमेटम
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने जिला प्रशासन के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें महिलाओं ने 4 मार्च तक मांगे पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है । ऐसा नहीं होने पर 5 मार्च से रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन और राज्यपाल के पास जाकर राज्य सरकार की शिकायत करने की चेतावनी दी है।
इनकी प्रमुख मांगे हैं कि इन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में कम से कम 11000 रुपए मानदेय मिले, चुनावी घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नर्सरी टीचर के रूप लेने की घोषणा पूरी की जाए।