देश में कोरोना का तीसरा दौर नजर आने लगा है। खासतौर पर महाराष्ट्र और केरल के साथ मध्यप्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ में बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय हैं। होली के पहले रोजगार के लिए बाहर गए लोगों के लौटने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन होली त्यौहार को अब भी एक माह से ज्यादा वक्त शेष है, लेकिन पलायनवादियों के लौटने का सिलसिला अभी से शुरू हो गया है।
आमतौर पर होली के ठीक 8-10 पहले बड़ी तादाद में पलायनवादी लोग अपने घरों को होली त्यौहार मनाने के लिए लौटते हैं, लेकिन इस बार 35 दिन पहले ही लौटने की जो शुरुआत हुई है, उसके पीछे वजह कोरोना की बढ़ती रफ्तार और लोगों के दिलों-दिमाग में घर कर चुका लाॅक डाउन है।
बीते साल मार्च में जो लाॅक डाउन का सिलसिला चला, उसकी वजह से लोगों का घर लौटना दूभर हो गया था। उनके घर लौटते ही छत्तीसगढ़ में कोरोना ने जो हाहाकार मचाया, किसी से छिपा भी नहीं है। लिहाजा इस बार कमाने के लिए बाहर गए लोग लाॅक डाउन के अंदेशा की वजह से पहले ही अपने घर लौटकर महफूज हो जाना चाह रहे हैं। यही वजह है कि महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों, मध्यप्रदेश के जिलों सहित अन्य प्रदेशों में काम कर रहे छत्तीसगढ़ मूल के लोगों ने घर का रास्ता पकड़ना शुरू कर दिया है।
फंसने का डर सता रहा
बीते साल कोरोना ने अचानक दस्तक दिया था। इससे पहले कि लोग कुछ समझ भी पाते पूरा देश कोरोना की जद में आ चुका था। जिसकी वजह से जो जहां था, वहीं फंस गया। वर्तमान हालात एक बार फिर कुछ उसी तरह के संकेत देने लगे हैं। खासतौर पर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में बिगड़ते हालात पर तत्काल काबू पाने के लिए लाॅक डाउन के संकेत मिलने लगे हैं। दूसरी बार फंसने का डर लोगों को सताने लगा है, जिसकी वजह से लोग रिस्क नहीं लेना चाह रहे हैं।