रामानंद सागर की रामायण आज भी लोगों को उतनी ही पसंद आती है, जितनी उस वक्त थी। 2003 में धार्मिक धारावाहिक के तौर पर ‘रामायण’ का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। उस जमाने में कम संसाधन के बावजूद सीरियल ने दर्शकों को ऐसी भव्य प्रस्तुति दिखाई की हर कोई देखता ही रह गया। इस धारावाहिक में हर एक कलाकार की एक्टिंग पसंद की गई। अब चाहे बात राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल की करें या फिर दीपिका चिखलिया, सुनील लहरी, अरविंद त्रिवेदी जैसे कलाकारों की। सभी ने अपनी मेहनत के दम पर लोगों के दिलों में जगह बनाई।
इसी में से एक कलाकार थे नलिन दवे। नलिन ने रामायण में रावण के भाई कुंभकर्ण का किरदार निभाया था। उनके द्वारा फिल्माया गया एक एक दृश्य ऐसा था कि लोगों की आंखें भर आईं। खासकर तब जब कुंभकर्ण जानते थे कि उनका वध होने वाला फिर भी वो भाई के लिए रणभूमि में राम से युद्ध करने गए और आखिरकार श्रीराम के हाथों उनका वध हुआ।
नलिन दवे गुजराती फिल्मों के जाने माने अभिनेता थे। 26 साल की उम्र में उन्हें Bhader Tara Vaheta Pani में पहला ब्रेक मिला। यहीं से नलिन दावे की किस्मत चमक उठी। इसके बाद उन्होंने कई गुजराती फिल्मों में विलेन के रोल निभाए। नलिन के घरवाले उनके एक्टिंग करियर के खिलाफ थे।
80 से दशक में नलिन दावे गुजराती सिनेमा में बड़ा नाम बन चुके थे। उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया था। इन फिल्मों में प्रेम, दाता, एक अलग मौसम शामिल हैं। नलिन की आखिरी हिंदी फिल्म पाप की सजा थी। जो 1989 में रिलीज हुई थी।
रामायण में भले ही अरविंद त्रिवेदी कुंभकर्ण के भाई का किरदार निभाया था लेकिन असल जिंदगी में दोनों अच्छे दोस्त थे। अरविंद त्रिवेदी ही वो शख्स थे जिन्होंने रामानंद सागर की रामायण में नलिन दावे की एंट्री कराई थी। दरअसल अरविंद त्रिवेदी गुजराती रंगमंच के जाने माने कलाकार थे। इसी दौरान दोनों में दोस्ती हो गई और ये दोस्ती का सिलसिला आखिरी वक्त तक चला। नलिन महज 50 साल की उम्र में ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनकी मौत का क्या कारण था इसकी जानकारी नहीं है।