एसटीएफ में तैनात सिपाही मनीष कुमार सिंह तब अवाक रह गये जब एलआईसी हाउसिंग से फोन आया कि लोन के लिये दस्तावेज की कापी जमा करें। जबकि वह बहुत पहले ही लोन ले चुका था। पता चला कि उसके नाम से लोन के लिये आवेदन किया गया है। वह एलआईसी के दफ्तर पहुंचा तो खुलासा हुआ कि उसके नाम व आधार कार्ड पर ही एक सिपाही पीएसी में नौकरी कर रहा है। पड़ताल में यह सिपाही फर्जी निकला तो उसने विभूतिखंड कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी। एसटीएफ के डिप्टी एसपी ने जांच की तो पता चला कि मनीष के दोस्त अमित ने ही फर्जीवाड़ा किया है।
विभूतिखंड के सब इंस्पेक्टर अमरेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि पीएसी में तैनात सिपाही के जो दस्तावेज लगे हैं, वह वर्ष 2006 बैच के सिपाही बलिया निवासी मनीष के ही है। उसके पिता का नाम, पैन कार्ड, जन्म तिथि और गृहजनपद भी मनीष का ही लिखा हुआ है। पीड़ित मनीष के मुताबिक उसने अपने और पीएसी में डयूटी कर रहे सिपाही के पिता का नाम यूपी पुलिस के ऑनलाइन रोल पर चेक किया तो फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई थी। इसकी जांच कर रहे एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने पीएसी के फर्जी सिपाही को बुलाया तो पता चला कि उसका असली नाम अमित है। अमित बंदायू और मनीष बरेली से भर्ती हुआ था। अमित को एसटीएफ मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की गई। उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। उसके खिलाफ अभी जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज है, उसमें गिरफ्तारी नहीं हो सकती है लिहाजा उसे जाने दिया गया है। पर, विभागीय जांच के बाद धारायें बढ़ने पर उसकी गिरफ्तारी भी की जायेगी।