रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते एक पखवाड़े के भीतर जिस तेजी से कोरोना ने नए लोगों को अपनी चपेट में लिया है। जिस तेजी से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है, यह उस लापरवाही का परिणाम है, जिसे प्रदेश की जनता ने खुद किया है। सीधे तौर पर कहा जाए तो प्रदेश की जनता ने ही लाॅक डाउन को न्योता दे डाला है। जिसकी वजह से अब सरकार को भी इस पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सामान्य परिस्थितियों में पहुंचने के बाद प्रदेश में एकबारगी कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी है, उसके पीछे एकमात्र वजह प्रदेश के लोगों की लापरवाही ही है। जिसे लेकर शासन और प्रशासन भी लगातार आगाह करते रहे, लेकिन राजधानी से लेकर प्रदेशभर में उसका माखौल उड़ाया गया। नतीजतन, आज एक दिन में कोरोना के शिकार होने वालों की संख्या साढ़े 4 हजार के पार पहुंच गई, तो प्रतिदिन होने वाली मौतों का आंकड़ा भी 29 पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयान में कहा है कि वे लाॅक डाउन नहीं चाहते, क्योंकि इससे आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो जाती है। लेकिन अब सरकार को ही कहना पड़ रहा है कि बेकाबू होते हालात को देखते हुए लाॅक डाउन पर विचार किया जा सकता है।
अब कि बार लाॅक डाउन लगा, तो फिर कितने समय तक पाबंदियों के दौर से गुजरना पड़ेगा, इसे लेकर किसी तरह की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन बिगड़ती स्थिति लाॅक डाउन की ओर धकेलने लगी है, यह एक कड़वी सच्चाई है।
इसके बावजूद आलम यह है कि लोग अभी भी परिस्थितियों को देख और जानकर भी लापरवाही बरतने में कमी नहीं कर रहे हैं। बड़ी तादाद में लोगों को केवल जुर्माना से बचने के लिए माॅस्क लटकाकर घुमते देखा जाता है, सोशल डिस्टेंशिंग के प्रति लोग अभी भी सजग नहीं हैं। अनावश्यक भीड़ में शामिल होना लोगों की आदत में है, जिसे वे बदलने की कोशिश नहीं करते।