रायपुर। अजीत प्रमोद जोगी आज भले ही हमेशा से खामोश हो गए हैं, लेकिन जो कोई भी उनके संपर्क में आया है, वो पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कभी नहीं भूल पाएगा। किसी गांव का सचिव हो या फिर किसी जिले का कलेक्टर, वे हर किसी को उनके नाम से बुलाया करते थे। जब वे मुख्यमंत्री बने, तो प्रशासनिक महकमे में एक अलग ही हलचल थी, क्योंकि वे खुद भी एक सीनियर आईएएस थे।
साल 2000 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान वे नए छत्तीसगढ़ की रूपरेखा बनाने में इतने ज्यादा तल्लीन थे कि प्रदेश के लोगों के बीच उनका आम व्यवहार सामने नहीं आ पाया, लेकिन इसके बाद विपक्षी नेता के तौर पर उन्होंने प्रदेश में अपनी लोकप्रियता का जो परचम लहराया, उसका मुकाबला शायद ही कोई कर पाएगा। सत्तासीन होने का सौभाग्य भले ही उन्हें दोबारा नहीं मिला, लेकिन लोगों के दिलों में राज कैसे किया जाता है, उन्हें बखूबी आता था।
कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई, अजीत जोगी अब पूर्व मुख्यमंत्री रह गए, लेकिन उन्होंने छग की राजनीति को अपने ईर्द-गिर्द कर लिया। भाजपा सरकार में बैठकर भी उनसे खौफजदा रहती थी और वे विपक्ष में बैठकर भी सरकार को चैन से नहीं बैठने देते थे। यह उनका अपना तरीका था, जिसकी वजह से बीते 17 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद उनकी लोकप्रियता को आंच तक नहीं आई।