बड़े शहरों के बाद अब छत्तीसगढ़ का बिलासपुर कोरोना का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। इस जिले में अब कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं। जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। लोगों को मुसीबत से निकालने के लिए कलेक्टर सारांश मित्तर ने अपोलो अस्पताल में 20 कोविड बेड बढ़वाए हैं। पहले अपोलो ने कोविड मरीजों के लिए 50 बेड आरक्षित किए थे जिसे बाद में 75 और अब 90 कर दिया गया है। लेकिन ये संख्या अब भी कोविड मरीजों की तुलना में कम है। 300 बेड संख्या वाले अस्पताल में अत्याधुनिक तरीके से हर बेड पर ऑक्सीजन मुहैया करवाया गया है। बावजूद इसके धीरे-धीरे करके बेड का बढ़ाना समझ से परे है। वो भी कलेक्टर के कहने पर। वहीं जब इस बारे में कलेक्टर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोविड के मरीजों के लिए स्टाफ ट्रेंड करना पड़ता है इसलिए अस्पतालों में क्रमवार तरीके से बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है।
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नेतृत्व की कमी के कारण अस्पताल प्रबंधन लचर
अपोलो के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब बिलासपुर वासियों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। नेतृत्व की कमी के कारण आज बिलासपुर वासियों को ये स्थिति भोगनी पड़ रही है। बिलासपुर से राज्य सरकार में कोई भी राज्य मंत्री नहीं है। कांग्रेस सरकार में स्व. बीआर यादव, स्व. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, चित्रकान्त जायसवाल, अशोक राव जैसे दबंग मंत्री रहे। तो बीजेपी सरकार में अमर अग्रवाल। इस समय बिलासपुर नेतृत्व विहीन है। कोरोना के टाइम में यह कमी साफ महसूस की जा रही।
नेताओं के कारण बिलासपुर में सुविधाएं बढ़ीं
बड़े नेताओं के आंदोलनों के कारण ही बिलासपुर को पहचान मिली। बीआर यादव ने एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर में खुलवाया। कांग्रेस नेताओं की सलाह पर एसईसीएल सीएमडी ने अपोलो जैसा अस्पताल इस शहर को दिया। इसके लिए स्व. लखीराम अग्रवाल ने तत्कालीन कोयला मंत्री स्व. रामविलास पासवान से बात की थी। तब SECLने बिल्डिंग बनाकर अपोलो को सौंपा। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज अपने ही अस्पताल में बेड बढ़वाने के लिए बनियागिरी करनी पड़ रही है। जिससे शहर में मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। न जाने कब और कैसे बिलासपुर वासियों को इतनी बड़ी चिंता से मुक्ति मिलेगी। ऐसे में यदि सारांश मित्तर जैसा कलेक्टर शहरवासियों को नहीं मिलता तो बेड बढ़ना तो दूर इस ओर कोई ध्यान देने वाला भी शायद नहीं होता।
बड़े नेताओं के आंदोलनों के कारण ही बिलासपुर को पहचान मिली। बीआर यादव ने एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर में खुलवाया। कांग्रेस नेताओं की सलाह पर एसईसीएल सीएमडी ने अपोलो जैसा अस्पताल इस शहर को दिया। इसके लिए स्व. लखीराम अग्रवाल ने तत्कालीन कोयला मंत्री स्व. रामविलास पासवान से बात की थी। तब SECLने बिल्डिंग बनाकर अपोलो को सौंपा। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज अपने ही अस्पताल में बेड बढ़वाने के लिए बनियागिरी करनी पड़ रही है। जिससे शहर में मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। न जाने कब और कैसे बिलासपुर वासियों को इतनी बड़ी चिंता से मुक्ति मिलेगी। ऐसे में यदि सारांश मित्तर जैसा कलेक्टर शहरवासियों को नहीं मिलता तो बेड बढ़ना तो दूर इस ओर कोई ध्यान देने वाला भी शायद नहीं होता।