बिलासपुर। प्रदेश में टीकाकरण में आरक्षण लगाने को लेकर प्रस्तुत हस्तक्षेप याचिकाओं पर मंगलवार को हाई कोर्ट की युगलपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने टीकाकरण में आरक्षण लागू करने पर सख्त एतराज जताया है। कोर्ट ने शासन को स्पष्ट किया है कि टीकाकरण में इस तरह का भेदभाव जायज नहीं है। हाई कोर्ट ने टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नीति बनाने के निर्देश दिए हैं।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया है। इसी तरह टीकाकरण में आरक्षण को लेकर अलग-अलग पांच से अधिक हस्तक्षेप याचिकाएं दायर हुई है, जिस पर मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई।
इस दौरान हस्तक्षेप याचिकाककर्ता किशोर भादुड़ी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी टीकाकरण को लेकर प्राथमिकताएं तय की है। लेकिन, उसमें आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है। शासन ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। सभी ने शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने व नई नीति बनाने की मांग की।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को दो दिन के भीतर टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टीकाकरण को लेकर लागू किए गए आरक्षक पर एतराज जताया है। करीब दो घंटे तक हाई कोर्ट में इस प्रकरण में आनलाइन बहस चली। इस मामले में हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश शाम तक जारी हो सकता है। याचिका में अमित जोगी सहित अन्य हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुमेश श्रीवास्तव, सुमित सिंह पतलाश तिवारी, हिमांशु चौबे ने पक्ष रखा।