ग्रैंड न्यूज, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना का कोहराम अभी थमा नहीं है। इस महामारी से बचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है। छत्तीसगढ़ में भी देश के साथ साथ वैक्सीनेशन को संपादित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में वैक्सीनेशन का तीसरा चरण भी शुरू हो चुका है। जिसमें 18 से 44 वर्ष के लोगों को वैक्सीनेट किया जाना है। शहरों में जहां वैक्सीन की किल्लत हो रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वैक्सीन से भाग रहे हैं।
यह एक ऐसी सच्चाई है जिसका सामना शासन प्रशासन के लोगों को हर दिन करना पड़ रहा है। राजधानी की बात करें तो 18 से 44 वर्ष के बीच के लोगों के टीकाकरण के लिए जिले भर में 19 केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में जितने टीके उपलब्ध है उसके मुकाबले टीका लगवाने 3 गुना ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं।
दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन सेंटरों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव में रोज मुनादी कराए जाने के बावजूद भी ग्रामीणों का उत्साह टीकाकरण में नजर नहीं आ रहा है। आलम यह है कि पटवारी तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक को वैक्सीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित करना पड़ रहा है लेकिन नतीजा सिफर ही साबित हो रहा है।
ताजा मामला महासमुंद जिले के तुमगांव का सामने आया है। जहां पर एक तहसीलदार ग्रामीणों को वैक्सीनेशन के लिए न केवल प्रेरित कर रहे हैं बल्कि वे लगातार बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि वैक्सीनेट नहीं हुए तो उसका परिणाम क्या हो सकता है। चौंकाने वाली हकीकत यह है कि उनकी इन कोशिशों के बावजूद भी ग्रामीण वैक्सीनेशन के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। जबकि हकीकत यही है कि इस वक्त वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है।