छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर अहम टिप्पणी की है। एक जनहित याचिका में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू ने कहा कि प्रथम दृष्टया मौजूदा परिस्थिति में राज्य सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर कोर्ट किसी भी तरह का दखल नहीं दे सकता है । राज्य सरकार ने सोच समझकर ही वैक्सीन को लेकर पॉलिसी बनाई है। जिसके तहत पूरे प्रदेश में टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा है।
याचिकाकर्ताओं की क्या थी दलील?
छत्तीसगढ़ में वैक्सीन को वर्ग के मुताबिक बांटने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी।जिसमे ये कहा गया था कि राज्य सरकार ने जिस तरह से वैक्सीन को कोटे में बांटा हैं उससे एपीएल वर्ग को काफी कम वैक्सीन मिल रही है।जिससे वैक्सीन सेंटर के बाहर लंबी लाईनें लग रहीं हैं। वहीं अंत्योदय और बीपीएल वर्ग में वैक्सीन कराने के लिए लोग नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में एपीएल वर्ग के लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। ये याचिका सब्यसाची भादुड़ी, राकेश पांडेय,हिमांशु चौबे समेत अन्य लोगों ने कोर्ट के समक्ष पेश की थी।
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राज्य सरकार ने दिया जवाब
राज्य सरकार ने दिया जवाब
राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरी और महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह के आरोप याचिका में लगे हैं वो गलत हैं। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद वैक्सीनेशन को लेकर गंभीरता दिखाई । कोविड प्रोटोकॉल के तहत एक सेंटर में सिर्फ 120 लोगों को प्रतिदिन के हिसाब से वैक्सीन लगाने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए 13 मई को राज्य सरकार ने सीजीटीका एप भी लांच किया ।इस एप के माध्यम में हर किसी वर्ग को रजिस्ट्रेशन करने की छूट मिली है। चाहे वो बीपीएल हो, अंत्योदय हो या फिर एपीएल । इस एप में रजिस्ट्रेशन के बाद कोई भी नजदीकी सेंटर में जाकर वैक्सीन का लाभ ले सकता है। इसलिए याचिकाकर्ताओं का ये कहना कि वैक्सीन को कोटे के हिसाब से बांटा गया है वो सही नहीं है।
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर अहम टिप्पणी की है। एक जनहित याचिका में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू ने कहा कि प्रथम दृष्टया मौजूदा परिस्थिति में राज्य सरकार के वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर कोर्ट किसी भी तरह का दखल नहीं दे सकता है । राज्य सरकार ने सोच समझकर ही वैक्सीन को लेकर पॉलिसी बनाई है। जिसके तहत पूरे प्रदेश में टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा है।याचिकाकर्ताओं की क्या थी दलील?छत्तीसगढ़ में वैक्सीन को वर्ग के मुताबिक बांटने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी।जिसमे ये कहा गया था कि राज्य सरकार ने जिस तरह से वैक्सीन को कोटे में बांटा हैं उससे एपीएल वर्ग को काफी कम वैक्सीन मिल रही है।जिससे वैक्सीन सेंटर के बाहर लंबी लाईनें लग रहीं हैं। वहीं अंत्योदय और बीपीएल वर्ग में वैक्सीन कराने के लिए लोग नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में एपीएल वर्ग के लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। ये याचिका सब्यसाची भादुड़ी, राकेश पांडेय,हिमांशु चौबे समेत अन्य लोगों ने कोर्ट के समक्ष पेश की थी।ALSO READ- राहुल का केंद्र पर हमला, कहा- सरकार ना सिर्फ कोरोना संकट बल्कि लोगों के साथ खड़े होने में भी विफल रही
राज्य सरकार ने दिया जवाब महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के हर नागरिक को कम समय में वैक्सीनेशन की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन उन्हें पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन का कोटा नहीं मिल पा रहा है। 16 मई तक प्रदेश में 4 लाख 77 हजार लोगों को वैक्सीन लग चुकी है । वहीं इस महीने का 7 लाख 90 हजार वैक्सीन का कोटा प्रदेश का पूरा हो चुका है। जितनी भी वैक्सीन बची है वो 2 से 3 दिनों में खत्म हो जाएंगी । केंद्र ने भी इस महीने इससे ज्यादा वैक्सीन उपलब्ध कराने से मना कर दिया है। इसलिए सरकार ने कोर्ट से मांग की है कि वो केंद्र को छत्तीसगढ़ के लिए और ज्यादा वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए निर्दशित करें। सरकार ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता वैक्सीन बर्बाद होने की बात कह रहे हैं.लेकिन ऐसा नहीं है हमारे पास जितने भी रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं और वैक्सीन का कोटा उपलब्ध है वो सभी को लग रहा है। सरकार ने कोर्ट में आंकड़े पेश करते हुए कहा कि साढ़े 17 प्रतिशत एपीएल वर्ग को अब तक टीका लग चुका है। जो कि निर्धारित लक्ष्य 12 फीसदी से कहीं ज्यादा है।टीका एप पर सरकार का जवाबटीका एप के बारे में सरकार ने कहा कि इस एप के माध्यम से ना सिर्फ रजिस्ट्रेशन सुचारु रुप से हो रहा है बल्कि लोगों ने इससे वैक्सीनेशन का लाभ भी लिया है। 16 मई को 1लाख 6 हजार रजिस्ट्रेशन एप के माध्यम से हुए हैं। साथ ही 32590 लोगों का वैक्सीनेशन पूरे छत्तीसगढ़ में हुआ है। इस एप से जुड़ी या रजिस्ट्रेशन संबंधी किसी भी परेशानी के लिए हेल्पलाइन नंबर 8269669499 भी सरकार ने जारी किया है।अब क्या है कोर्ट का रुख ?हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब के बाद ये निर्देशित किया है कि जो भी वो कह रहे हैं उसे लेकर कोर्ट में एक शपथ पत्र दाखिल करें । साथ ही याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट रुप से कहा है कि यदि कोर्ट वैक्सीनेशन के दौरान किसी भी तरह का हस्तक्षेप करती है तो सरकार की बनाई हुई व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है। इसलिए वो सरकार की किसी भी व्यवस्था में दखल नहीं देगी। सरकार जो भी व्यवस्था बनाएगी उसे सुचारु रुप से चलने देना होगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिन बाद 19 मई को होगी।ALSO READ- राहुल का केंद्र पर हमला, कहा- सरकार ना सिर्फ कोरोना संकट बल्कि लोगों के साथ खड़े होने में भी विफल रही
सरकार ने जारी किया था आदेश