रायपुर. 15 साल की भाजपा सरकार में एक से बढ़कर एक करोड़ों के भ्रष्टाचार हुए जिनकी परतें अब खुलती जा रही हैं. ताजा मामला दुग्ध महासंघ का है. अध्यक्ष रसिक परमार पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. पूर्व एमडी रहे शंकर सिंह गहरवार के साथ मिलकर परमार ने दूध में मलाई खाने का जो खेल खेलाा, उसी का नतीजा है कि देवभोग की स्थापना के साथ शुरू हुई प्रतिदिन 60 हजार लीटर की बिक्री आज 15 हजार लीटर प्रतिदिन तक घट चुकी है! देवभोग के उत्पादों की गुणवत्ता पर प्रश्नचिहन, उनकी कीमतों के बढ़ने के पीछे जमकर भ्रष्टाचार खेला गया. और भी कई राज खोलती यह विशेष रपट :
मिनरल वाटर के नाम पर बड़ा खेल!
मिले दस्तावेजों के मुताबिक देवभोग डेयरी को सरकारी अनुदान करोड़ों में प्राप्त हुआ था लेकिन इससे मशीनों की खरीदी में खूब कमीशन खोरी की गई. करोड़ों की मशीनें अभी भी दुग्ध महासंघ के बायलर प्लांट में जंग खा रही हैं। दस्तावेजों के मुताबिक देवभोग मिनरल वाटर के नाम से पानी बेचने का काम शुरू किया गया था जिसका उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने किया था। इसके लिए 10 बड़ी-बड़ी मशीनें भी लाई गई थी, लेकिन आज तक पता नहीं मिनरल वाटर से कितने लाख लीटर बिक्री हुई और कितने का फायदा दुग्ध महासंघ को हुआ! मिनरल वाटर के नाम से परमार पर गहरवार के साथ मिलकर जमकर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे हैं.
सहकार भारती छत्तीसगढ़ के प्रदेश महामंत्री डॉ राकेश मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में कार्यशील मशीनों की मरम्मत की आवश्यकता है लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पुराने बायलर के मशीनों पर गैस लीक होने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की भर्ती में प्राइवेट ठेका के मजदूरों को एकत्रित करके अध्यक्ष रसिक परमार ने श्रमिक यूनियन संघ बना लिया जो सिर्फ कागजों पर काम करता है। वही नियमित कर्मचारियों के एसोसिएशन के पत्रों पर कोई सुनवाई नहीं की जाती है।
कुम्हारी थाने में दर्ज है एक रिपोर्ट
मिश्रा का आरोप है कि डेयरी में प्लांट के अंदर घुसकर कर्मचारियों पर गुंडों के द्वारा हमला भी किया गया जिसमें डेयरी के वरिष्ठ प्रबंधकों को बंधक बनाया गया था जिसकी कुम्हारी थाने में एफआईआर दर्ज है. इस एफआईआर में मुख्य खरीददार अधिकारी आलोक राय का नाम भी शामिल है जिस पर कई गंभीर धाराएं भी लगी हैं। लेकिन रसिक परमार एक रसूखदार व्यक्ति हैं इसलिए अपने चहेते अधिकारियों पूर्व एमडी शंकर सिंह गहरवार को बचाते रहे हैं. डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि जब थाने में गाड़ी पकड़ाई तो बेशर्मी से रसिक परमार का बयान आता है कि मंत्रियों और अफसरों से दुग्ध महासंघ को फंड की जरूरत पड़ती है इसलिए हमें उन तक त्योहारों में देवभोग के उत्पाद पहुंचाना पड़ता है और हम यह करते हैं।
मिश्रा ने दावा किया कि अध्यक्ष परमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सहकारिता नियम के विरुद्ध जाकर अपने नेताओं अधिकारियों को खुश करने एवं चमचागिरी करने की मंशा से दीपावली होली जैसे त्योहारों में लाखों रुपए के देवभोग के उत्पाद जैसे पेड़ा, श्रीखंड, पनीर, घी, खोवा, इत्यादि के पैकेट बनाकर बंटवाये. रसिक परमार की मनमानी से तंग आकर संघ ने संचालक ने सीबीआई नई दिल्ली को शिकायत की है लेकिन उस पर जांच आगे नही बढ़ सकी.
दूध के एमडी को यह नही मालूम कि कितने लीटर दूध की खपत हो रही है!
दुग्ध महासंघ के एमडी नरेन्द्र दुग्गा से जब इस पूरे मामले पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि प्रतिदिन फ़िलहाल कितना हजार लीटर दूध खपत हो रहा है, इसकी जानकारी अभी नहीं है, जो भी आरोप लगाए गए हैं, उसकी लिखित शिकायत मिलने के बाद ही कुछ बता पाउँगा. रही बात पूर्व एमडी के रिश्तेदार लोगों की भर्ती की तो इसकी भी जानकारी नहीं है.