रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर की रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर जूही व्यास मिसेज इंडिया की फर्स्ट रनर अप बनी हैं। यह खिताब उन्होंने मुंबई में हुई INC मिसेज इंडिया कॉम्पिटिशन में जीता। अब जल्द ही वह अमेरिका में होने वाले मिसेज ग्लोबल कांटेस्ट में भारत को रिप्रजेंट करेंगी। जूही कहती हैं कि जमाना बदल चुका है। महिलाओं के खून में दो तरह के DNA होते हैं। पहला केयर टेकर और दूसरा मैनेजरल।
जूही दुर्ग के एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। पढ़ाई पूरी कर उन्होंने अपनी मां का व्यवसाय संभाला और आज दुर्ग में एक फेमस सैलून चला रही हैं। यहीं से उन्होंने मिसेज इंडिया कांटेस्ट में जाने का मन बनाया। जूही कहती हैं कि आज की औरत न सिर्फ घर संभाल रही हैं बल्कि वो बोर्ड रूम भी संभाल रही है। वह कहती हैं कि मल्टीटास्किंग औरतों के खून में होता है, बस उन्हें इसे पहचानने की जरूरत है।
कोरोना काल में समय का उठाया फायदा
कोरोना काल में उन्होंने इस कॉम्पिटिशन के लिए फार्म भरा। कोविड के चलते सभी एक्टिविटी बंद होने से उन्हें इसके लिए तैयारी करने का काफी अच्छा समय मिल गया। जूही ने घर पर ही इस कॉम्पिटिशन की तैयारी की। इसके बाद अपने आपको अपग्रेड करने के लिए मुंबई जाकर एक एकेडमी से कोर्स किया। जब जूही मुंबई में मिसेज इंडिया के कॉन्टेस्ट में गईं तो देखा कि वहां देश भर से 51 महिलाओं ने भाग लिया है।
also read: Poem on Father’s day: पिता रोटी है, कपड़ा है मकान है, पिता नन्हें से परिंदे का बड़ा आसमान है
खूबसूरती, फिटनेस और लंबाई का विशेष महत्व
जूही ने बताया कि मिसेज इंडिया कॉम्पिटिशन में भाग लने वाली महिलाओं में उनके अंदर की काबिलियत के साथ ही उनकी खूबसूरती, बॉडी फिटनेस और लंबाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। हालांकि इस बार मिसेज इंडिया में पांच फिट पांच इंच की जगह पांच फिट तीन इंच लंबी महिलाओं को भी एंट्री दी गई, लेकिन जिन्होंने भी फाइनल में जगह बनाई वह सब 5.7 फिट लंबी थीं। जूही अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए वर्कआउट के साथ ही भरतनाट्यम भी करती हैं।
ससुराल वालों का मिला पूरा सपोर्ट
जूही ने बताया कि उनके ससुर स्व. कैप्टन सुभाष व्यास थे। सास डॉ. सविता व्यास गायनाकोलॉजिस्ट हैं और पति शांतनु व्यास बिजनेसमैन हैं। इसके अलावा अन्य जितने भी सदस्य हैं वह काफी ब्रांड माइंडेड हैं। मिसेज इंडिया कॉम्पिटिशन में कई तरह के ड्रेसेज पहनने पड़ते हैं, लेकिन मेरे ससुराल के लोगों ने हमेशा प्रोत्साहन दिया है। इस फील्ड में बाकी शादीशुदा महिलाओं को भी आना चाहिए। इसके लिए महिलाओं की सास के साथ उनके परिवार वालों को भी सोच को बदलना पड़ेगा।