मुंबई। सुर साम्राज्ञी, स्वर कोकिला, भारत रत्न स्व. लता मंगेश्कर देश की ऐसी सम्मानित महिला शख्सियत थी, जिनके लिए आदर कभी कम नहीं हो पाएगा। उन्होंने 92 वर्ष की उम्र अपने देह का त्याग तो कर दिया, लेकिन अपने पीछे अपनी अमिट यादों को उन्होंने छोड़ दिया है। अपनी मधुर आवाज में गाए गीतों का ऐसा कारवां है, जिसे हमेशा सुकुन के लिए सुना जाएगा।
भारत रत्न ‘लता दीदी’ की कई ऐसी बातें हैं, जो अनकही थीं। इनमें से कुछ बातें उनके चले जाने के बाद सामने आई हैं। ऐसी ही एक जानकारी उनके राजनीतिक कैरियर की है, जिसे शायद ही लोग जानते हैं। हालांकि उन्होंने कभी राजनीति में कदम नहीं रखा, लेकिन राज्यसभा सांसद के तौर पर उन्होंने एक कार्यकाल का निर्वहन किया है।
देश के इतिहास में 1999 से 2005 का वो दौर था, जब उनका संसदीय सफर था। इस बीच उन्होंने राज्यसभा सांसद के तौर पर देश को अपना अमूल्य योगदान दिया था। एक सांसद के तौर पर उन्हें वेतन का भी अधिकार था, सरकारी बंगला भी आवंटित किया गया था, इसके अलावा दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं गई थीं, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं लिया।
अपने 6 सालों के कार्यकाल में उन्होंने वेतन के भेजे गए चेक्स को कभी स्वीकार नहीं किया और हमेशा वापस भेज दिया। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ था। लता मंगेशकर ने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया था। यहां तक कि उन्होंने नई दिल्ली में सांसदों को दिए जाने वाले घर को भी ठुकरा दिया।