रायपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से आज यहां उनके निवास कार्यालय में प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी के नेतृत्व में अखिल भारतीय वन सेवा-2018 बैच के चार प्रशिक्षु अधिकारियों ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने भारतीय वन सेवा में चयन उपरांत उन्हें वनांचल तथा आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ राज्य में सेवा का अवसर मिलने पर अपनी बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ का लगभग 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है। साथ ही प्रदेश में लगभग एक तिहाई आदिवासी लोग निवासरत हैं। इन आदिवासी परिवारों सहित अन्य ग्रामीण वनवासी परिवारों की आजीविका मुख्य रूप से वनों पर आधारित है। मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में ग्रामीण वनवासी परिवारों के जीवन को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में अपना अहम् योगदान निभाएं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी और वनवासियों द्वारा तेंदूपत्ता और वनोपजों का संग्रहण किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ पूरे देश में तेंदूपत्ता उत्पादन में प्रमुख स्थान रखता है। यहां के पत्ते की गुणवत्ता उच्च कोटि की होती हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य से लगभग 13 लाख परिवारों को रोजगार मिलता है। इसके अलावा अनेक औषधि और लघु वनोपज का संग्रहण कार्य के माध्यम से बड़ी तादात में आदिवासी और वनवासी परिवारों को रोजगार के साथ-साथ आय का अतिरिक्त लाभ मिलता है। राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष 25 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इससे वनवासियों को वनोपजों के संग्रहण में उनके मेहनत का वाजिब दाम मिलता है।
मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारियों से कहा कि वन सेवा वनवासियों की सेवा करने का माध्यम है। सभी अधिकारी वनांचल क्षेत्रों में जाकर सामाजिक आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करें। उनकी समस्याओं को नजदीक से देखें। वनांचल में रहने वाले ग्रामीण आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए नवाचारी पहल करें। अवसर पर उप वन संरक्षक श्री पंकज राजपूत और प्रशिक्षु अधिकारियों में श्री आलोक कुमार वाजपेयी, श्री शशि कुमार, श्री तेजस शेखर तथा श्री दिनेश कुमार पटेल उपस्थित थे।