नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद को देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट राज्य के हालात के मद्देनजर इजाजत देंगे। मौलना कल्बे जव्वाद ने याचिका दाखिल कर पूरे देश के अलग-अलग शहरों में मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत मांगी थी।
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हर राज्य में अलग हालात
इन दिनों करोना की वजह से धार्मिक जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती, क्योंकि हर जगह के हालात अलग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर राज्य के हाईकोर्ट को वहां के हालात के मद्देनजर इजाजत देनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें कम से कम लखनऊ में जुलूस निकालने की इजाजत दी जाए, क्योंकि शिया समुदाय के ज्यादातर लोग यही रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके जवाब में कहा कि उन्हें इसके लिए इलाहबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए।
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जगन्नाथ यात्रा की इसलिए दी गई थी इजाजत
कोर्ट ने इससे पहले ओडिशा में जगन्नाथ यात्रा की इजाजत दी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ एक शहर का मामला था। पूरे देश का नहीं। अगर पूरे देश के लिए इजाजत दे दी गई तो फिर लोग एक ही समुदाय को कोरोना के लिए दोष देने लगेंगे।
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कब है मुहर्रम?
चांद नजर आने के साथ ही ये पर्व 29 या 30 अगस्त से शुरू होगा। शिया मुस्लिम समुदाय के लोग इसे गम के रूप में मनाते हैं। इस दिन इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है। मुहर्रम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के 72 साथियों के शहादत की याद में मनाया जाता है।
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