पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच गुरुवार को केरल विधानसभा में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार किसानों की वास्तविक चिंताओं को दूर करे और तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। इस दौरान भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने राज्य सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया। ओ. राजगोपाल ने कहा कि कांग्रेस ने खुद अपने घोषणापत्र में ऐसे ही कृषि कानूनों का वादा किया था और आज दोनों पार्टियां किसानों को भ्रमित कर इन कानूनों का विरोध कर रही हैं।
प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम पिनारई विजयन ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए एक बात पूरी तरह स्पष्ट है कि अगर किसानों का आंदोलन जारी रहा, तो इससे केरल भी गंभीर रूप से प्रभावित होगा। सीएम विजयन ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि अगर दूसरे राज्यों से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बंद होती है तो केरल को भूखा रहना होगा
आपको बता दें कि बीते सोमवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उस वक्त विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी दी, जब केरल सरकार ने दूसरी बार सत्र के लिए अनुमित मांगी। केरल सरकार के पहले प्रस्ताव को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ठुकरा दिया था। केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग करते हुए कहा कि हमारा राज्य खाद्य पदार्थों के लिए बड़े स्तर पर दूसरे राज्यों के ऊपर निर्भर है। ऐसे में देश के अन्य राज्यों में किसानों को जिस संकट का सामना आज करना पड़ रहा है, वो हमारे लिए एक चिंता का विषय है।
सरकार और किसानों के बीच हो चुकी है 6 दौर की बातचीत : गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हजारों की संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि संसद में पास किए गए तीनों कृषि कानून तत्काल वापस लिए जाएं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है और 4 जनवरी को सातवें दौर की बैठक होगी। सरकार का कहना है कि कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से लाए गए हैं और विपक्ष अपनी राजनीति के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहा है।