नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच सुलह के रास्ते खुलने लगे हैं। नए साल में चार जनवरी को होने वाली अगले दौर की बैठक में समस्या के समाधान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। किसान संगठनों ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी जिद को छोड़कर संवैधानिक प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। बुधवार को हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच तमाम मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बना ली गई है। माना जा रहा है कि अगली बैठक में किसान संगठन कानून निरस्त करने की मांग छोड़कर एमएसपी की गारंटी पर बातचीत केंद्रित करेंगे।

नए कृषि कानूनों को रद करने पर अड़ियल रुख अपनाए किसान नेताओं ने अपना रुख नरम किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल व वाणिज्य मंत्री पीय़ूष गोयल ने बैठक में किसान नेताओं के समक्ष कानून बनाने अथवा संशोधन की संवैधानिक प्रक्रिया का विस्तार से उल्लेख भी किया। तोमर ने बताया कि इन कानूनों के बनाने में ढाई दशक से अधिक का समय लगा है। इसमें विशेषज्ञ, कानूनविद, राजनीतिक दल, योजना आयोग और भी कई तरह गैर सरकारी संगठनों की सिफारिशों की मदद ली गई है।